सार
भारत ने आतंकवादियों को पनाहगाह उपलब्ध नहीं होने देने और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को प्रत्यर्पित करने के लिए राष्ट्रों के बीच समन्वयन पर जोर दिया।
संयुक्त राष्ट्र. आतंकवाद के मानवाधिकार उल्लंघन के सबसे बुरे रूप में उभरने के बावजूद इस बुराई से निपटने के सार्थक प्रयास गायब हैं। संयुक्त राष्ट्र से यह बात कहते हुए भारत ने आतंकवादियों को पनाहगाह उपलब्ध नहीं होने देने और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को प्रत्यर्पित करने के लिए राष्ट्रों के बीच समन्वयन पर जोर दिया। ‘रिपोर्ट ऑफ द ह्यूमन राइट्स काउंसिल’ पर महासभा के सत्र में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उपप्रतिनिधि के. नागराज नायडू ने कहा कि भारत संतुलित दृष्टिकोण का पक्ष लेने की परिषद की भूमिका की सराहना करता है जो मानवाधिकारों पर आतंकवाद के असर को समझता है और आतंकवाद के इस खतरे से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समन्वयन का समर्थन करता है।
कोई सार्थक प्रयास नहीं हुए
नायडू ने कहा, “आतंकवाद मानवाधिकार उल्लंघन के सबसे बुरे रूप में उभरा है। आतंकवाद को सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती मानने के बावजूद, इस खतरे से निपटने के कोई सार्थक सामूहिक प्रयास नहीं नजर आते हैं।” उन्होंने कहा, “हम सभी देशों से आतंकवादी समूहों तक किसी तरह की मदद पहुंचने को रोकने, उन्हें पनाहगाह मुहैया नहीं होने देने और आतंकी कृत्यों को करने या उनके समर्थकों को प्रत्यर्पित करने में सहयोग करने की फिर से अपील करते हैं।”
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)