Global Warming 2025: ग्लोबल वॉर्मिंग पर ताजा रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने चेताया है कि पृथ्वी सिर्फ 3 वर्षों में 1.5°C तापमान वृद्धि की सीमा पार कर सकती है। जानें क्यों कार्बन बजट खत्म हो रहा है और क्या है इससे जुड़ी वैश्विक चेतावनी।

Global Warming 2025: पृथ्वी के बढ़ते तापमान को लेकर वैज्ञानिकों की एक नई रिपोर्ट ने पूरी दुनिया को परेशान कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर मौजूदा हालात जारी रहे तो इंसानियत अगले तीन साल में 1.5°C ग्लोबल वॉर्मिंग की खतरनाक सीमा पार कर सकती है।

क्या कहती है नई रिपोर्ट?

60 से अधिक जलवायु वैज्ञानिकों ने यह विश्लेषण किया है कि अब दुनिया के पास केवल 130 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन बजट बचा है। जबकि हर साल हम औसतन 42 बिलियन मीट्रिक टन CO₂ उत्सर्जित कर रहे हैं। इसका मतलब है अगर यही रफ्तार रही तो हम 2027 तक 1.5°C की सीमा पार कर लेंगे।

पेरिस समझौते की राह मुश्किल

2015 के पेरिस समझौते में लगभग 200 देशों ने वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से नीचे और आदर्श रूप से 1.5°C के भीतर रखने का संकल्प लिया था। लेकिन ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि अब यह लक्ष्य तेज़ी से दूर होता जा रहा है।

पृथ्वी कितनी तेजी से गर्म हो रही है?

  • पृथ्वी अब हर दशक 0.27°C की दर से गर्म हो रही है।
  • औद्योगिक क्रांति से पहले की तुलना में अब हम 1.24°C ऊपर पहुंच चुके हैं।
  • महासागर 90% गर्मी को सोख रहे हैं, जिससे समुद्री जीवों, बर्फ और जलस्तर पर भारी असर हो रहा है।

समुद्र बढ़े, खेत घटे

1900 के बाद से समुद्र का स्तर 228 मिमी तक बढ़ चुका है। यह छोटी संख्या दिखती जरूर है लेकिन इससे तूफान और बाढ़ की तीव्रता कई गुना बढ़ गई है। अमेरिका, चीन, रूस जैसे देशों में फसल पैदावार में 40% तक की गिरावट की आशंका जताई गई है। 2022 में 30% भूमि क्षेत्र सूखे की चपेट में था।

क्या अब भी है कोई उम्मीद?

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अगर पवन, सौर और हरित ऊर्जा में निवेश बढ़ाया जाए और जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) के इस्तेमाल में कटौती की जाए तो हम अब भी सबसे भयावह परिणामों से बच सकते हैं। 2020 का दशक उत्सर्जन को चरम पर पहुंचाने और फिर घटाने के लिए निर्णायक हो सकता है।

वैज्ञानिकों की अपील: अभी करें कार्रवाई

रिपोर्ट के सह-लेखक जोएरी रोजेलज (Joeri Rogelj) ने Live Science को बताया कि हमें तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। अगले 10 साल तय करेंगे कि 1.5°C का निशान कब और कितनी तेजी से पार होगा।