सार

श्रीलंका के  पूर्व रक्षा सचिव गोटाबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति के चुनाव में जीत हासिल की है। श्रीलंका में घातक आतंकवादी हमले के सात महीने बाद कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान हुआ था।

कोलंबो. श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रविवार को जारी मतगणना में पूर्व रक्षा सचिव श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना पार्टी से उम्मीदवार गोटाबाया राजपक्षे ने जीत हासिल की है। बता दें कि राजपक्षे का झुकाव चीन की तरफ बताया जाता है। श्रीलंका में घातक आतंकवादी हमले के सात महीने बाद कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान हुआ था। निर्वाचन आयोग के मुताबिक तकरीबन पांच लाख मतों की गणना के बाद मुख्य विपक्षी उम्मीदवार राजपक्षे 50.51 प्रतिशत मतों के साथ आगे चल रहे हैं, जबकि पूर्व आवासीय मंत्री सजीत प्रेमदासा को 43.56 प्रतिशत मत मिले हैं। जिसके बाद प्रेमदासा ने अपनी हार स्वीकार कर ली है।

बधाई देना सौभाग्य की बात 

प्रेमदास ने कहा, ‘लोगों के निर्णय का सम्मान करना और श्रीलंका के सातवें राष्ट्रपति के तौर पर चुने जाने के लिए गोटबाया राजपक्षे को बधाई देना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।’ प्रेमदास के बयान से पूर्व राजपक्षे के प्रवक्ता ने चुनाव परिणाम की आधिकारिक घोषणा से पहले दावा किया कि 70 वर्षीय सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल ने शनिवार को हुए चुनाव में जीत दर्ज की। वामपंथी अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) 4.69 प्रतिशत मतों के साथ तीसरे नंबर पर हैं. इस पद के लिए 32 और उम्मीदवार मैदान में हैं.


80 प्रतिशत लोगों ने किया मतदान

आयोग के अध्यक्ष महिंदा देशप्रिया ने बताया कि शनिवार को हुए मतदान में कुल 1.59 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 80 प्रतिशत मतदाताओं ने हिस्सा लिया। 70 वर्षीय राजपक्षे देश के सिंहली बहुल इलाकों में आगे है, जबकि प्रेमदासा को उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में तमिल समुदाय का समर्थन प्राप्त है।  ‘यूनाइटेड नेशनल पार्टी’ (यूएनपी) के प्रेमदासा (52) देश के पूर्व राष्ट्रपति रणसिंहे प्रेमदासा के पुत्र हैं। देश में 21 अप्रैल को हुए आत्मघाती बम हमलों के बाद यह चुनाव यूएनपी नीत सरकार की लोकप्रियता की परीक्षा है। इन हमलों में कम से कम 269 लोगों की मौत हो गई थी। इन हमलों को रोकने में नाकाम रहने पर सरकार को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। 

एक रिटायर्ड सैनिक है गोटाभाया राजपक्षे

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं, जिन्होंने उस दौरान श्रीलंका के रक्षा विभाग की कमान संभाली थी, जब उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे राष्ट्रपति थे। इसके अलावा जब श्रीलंका ने 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ अपना युद्ध समाप्त किया तब भी वह रक्षा विभाग के प्रमुख रहे। राजपक्षे द्वीप के बहुसंख्यक सिंहली क्षेत्रों में अग्रणी थे, जबकि प्रेमदासा ने उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में द्वीप के अल्पसंख्यक तमिल समुदाय के बीच मजबूत समर्थन दिखाया। 

गोटाभाया को तमिल विद्रोहियों को कुचलने और 2005 से 2015 तक राष्ट्रपति रहे महिंदा के कार्यकाल के दौरान मई 2009 में 37 साल के अलगाववादी युद्ध को समाप्त करने के लिए सुरक्षा बलों को निर्देश देने का श्रेय दिया जाता है।