French President Emmanuel Macron ने 'Rafale Calling' पोस्ट के ज़रिए पूरे यूरोप को आत्मनिर्भर रक्षा नीति अपनाने का संदेश दिया है। जानिए कैसे Rafale यूरोपीय स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया है और अमेरिका के F-35 के मुकाबले यह क्यों खास है।
Europe united against US: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां (Emmanuel Macron) ने शुक्रवार को एक साहसिक और प्रतीकात्मक संदेश के जरिए पूरे यूरोप को चेताया। मैक्रां ने लिखा: Rafale कॉल कर रहा है, क्या आप जवाब देंगे? X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट की गई एक इमेज में Apple iPhone पर 'Incoming Call: Rafale' दिखाई दे रहा है, साथ में फ्रांस का अत्याधुनिक फाइटर जेट एक सूने पहाड़ी इलाके में उड़ान भरते हुए नज़र आता है।
Macron का क्या है संकेत: अमेरिका पर निर्भर नहीं रह सकते
इस मज़ेदार लेकिन स्ट्रेटेजिक पोस्ट के जरिए मैक्रां ने पूरे यूरोपियन यूनियन (EU) को एक बार फिर सामूहिक रक्षा स्वावलंबन (Common Defence Autonomy) की आवश्यकता का संदेश दिया। मैक्रां पहले भी कह चुके हैं कि अब समय है कि यूरोप खुद को सुरक्षित करे और अमेरिकी छाते पर भरोसा न करे।
Rafale = यूरोपीय आत्मनिर्भरता का प्रतीक
Macron की पोस्ट में Rafale का चुनाव सिर्फ एक सैन्य शक्ति दिखाने का प्रयास नहीं था बल्कि यह जेट यूरोप में डिजाइन और निर्मित हुआ है। यानी संदेश साफ है कि इसे अपनाकर यूरोपीय देश अमेरिकी हथियारों की निर्भरता से बाहर निकल सकते हैं।
- Rafale एक 4.5 जनरेशन मल्टीरोल फाइटर जेट है
- यह Meteor मिसाइल (150 किमी BVR), SCALP क्रूज मिसाइल (300 किमी), और MICA मिसाइल से लैस है
- यह एयर सुपीरियरिटी, ग्राउंड अटैक, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैसे सभी मोर्चों पर सक्षम है
F-35 पर क्यों उठ रहे सवाल?
जहां Rafale यूरोप का गर्व है, वहीं कई देश अमेरिका के F-35 स्टेल्थ फाइटर पर भरोसा कर रहे हैं। पोलैंड ने $4.6 बिलियन में 32 F-35 तो फिनलैंड ने $9.4 बिलियन में 64 F-35 खरीदे। जबकि UK, जर्मनी, इटली, ग्रीस, स्विट्ज़रलैंड जैसे देश पहले से इन्हें ऑपरेट कर रहे हैं। लेकिन इन जेट्स की उच्च लागत, मेंटेनेंस कठिनाई और फ्रैजीलिटी भी चर्चा में है। उदाहरण के रूप में एक ब्रिटिश F-35 पिछले एक हफ्ते से केरल के तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर तकनीकी खराबी के चलते खड़ा है।
भारत के 'Operation Sindoor' में भी Rafale की चमक
भारत ने अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई 'ऑपरेशन सिंदूर' में Rafale का इस्तेमाल किया था। इस अभियान ने Rafale की सटीकता और विश्वसनीयता को वैश्विक मंच पर सिद्ध किया।
Macron का अगला कदम: अरबों यूरो का साझा सैन्य बजट
मार्च में मैक्रों ने एक विशेष समिट में EU देशों से सैकड़ों अरब यूरो के 'Massive Common Funding' की मांग की। उन्होंने कहा कि ये यूरोप का Strategic Wake-Up Call है। हमें अपने उत्पादन और रक्षा नेटवर्क को खुद खड़ा करना होगा।
जर्मनी भी साथ
मैक्रां के आह्वान पर जर्मनी भी साथ आ गया है। नवनिर्वाचित जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज (Friedrich Merz) ने कहा कि उनकी प्राथमिकता यूरोप को अमेरिकी रक्षा पर निर्भरता से मुक्त करना है।