सार

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए ज़रूरी रेयर अर्थ मैग्नेट का निर्यात चीन ने बंद कर दिया है, जिससे भारत की ऑटो इंडस्ट्री को झटका लगा है। जानकारों का कहना है कि इससे भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का उत्पादन ही नहीं, बल्कि पूरा उद्योग प्रभावित होगा।

पिछले कुछ सालों में भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री तेज़ी से बढ़ी है। इस बढ़ती मांग को देखते हुए, कई कंपनियां नए प्रोडक्ट लॉन्च कर रही हैं और इंडस्ट्री के हिसाब से बुनियादी ढांचा तैयार कर रही हैं। लेकिन अब पड़ोसी देश चीन के एक फैसले ने भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के भविष्य को खतरे में डाल दिया है। चीन ने भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले रेयर अर्थ मैग्नेट का निर्यात बंद कर दिया है। इस कदम से न सिर्फ उत्पादन, बल्कि भारत की पूरी इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ेगा।

इन मैग्नेट का इस्तेमाल ट्रैक्शन मोटर और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के दूसरे ज़रूरी पुर्ज़े बनाने में होता है। खबरों के मुताबिक, चीन ने इन रेयर अर्थ मैग्नेट के भारत में निर्यात पर सख्त कस्टम जांच और लाइसेंस की ज़रूरतें भी बढ़ा दी हैं।

यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, पिछले साल दुनिया में जितने भी रेयर अर्थ मैग्नेटिक एलिमेंट्स का उत्पादन हुआ, उसका 69% चीन में हुआ था। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार, चार मैग्नेटिक रेयर अर्थ एलिमेंट्स (Nd, Pr, Dy, Tb) की दुनिया भर में सप्लाई का 90% से ज़्यादा हिस्सा चीन के पास है। इन एलिमेंट्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक गाड़ियों के मोटर के लिए स्थायी मैग्नेट बनाने में होता है। इनमें नियोडायमियम, प्रेसियोडायमियम, डिस्प्रोसियम और टर्बियम शामिल हैं।

पेट्रोल-डीजल इंजन बनाने में इन एलिमेंट्स का वज़न 140 ग्राम होता है। वहीं, मोटर-बैटरी वाली इलेक्ट्रिक गाड़ी बनाने में इनका वज़न लगभग 550 ग्राम होता है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों के अलावा, इन मैग्नेट का इस्तेमाल पावर विंडो और ऑडियो स्पीकर बनाने में भी होता है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है। कई कार निर्माता कंपनियों, जैसे हुंडई, मारुति सुजुकी और फॉक्सवैगन, के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भारत में हैं। खबरों के मुताबिक, अगर चीन का ये बैन जारी रहा, तो अगले कुछ दिनों में भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर ठप पड़ सकता है। वाहन निर्माताओं का संगठन सियाम इस मामले में दखल देकर समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस मामले में दखल देने की मांग उठी है। इंडस्ट्री के लोग मानते हैं कि चीन का ये बैन भारत के ऑटो सेक्टर के लिए बड़ी चिंता का विषय है। सियाम ने कहा है कि मई के आखिर या जून की शुरुआत में ऑटो इंडस्ट्री पूरी तरह ठप हो सकती है।

इस बीच, खबरें हैं कि भारत सरकार आयात पर निर्भरता कम करने और ज़रूरी खनिजों का आत्मनिर्भर इकोसिस्टम बनाने की कोशिशें शुरू कर चुकी है। इस दिशा में सबसे अहम कदम खनन मंत्रालय का नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन है। ये मिशन भारत में मौजूद रेयर अर्थ, लिथियम, कोबाल्ट और ग्रेफाइट जैसे ज़रूरी खनिजों की खोज और इस्तेमाल के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देगा। नई एक्सप्लोरेशन और माइनिंग पॉलिसी, प्राइवेट और विदेशी निवेशकों को जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में पाए जाने वाले रेयर अर्थ के भंडारों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है।