Dalai Lama Successor: केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि दलाइ लामा के उत्तराधिकारी का चयन केवल वे या उनकी संस्था कर सकती है। चीन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए भारत से तिब्बत मुद्दे पर सावधानी बरतने को कहा है।
India China Tibet Dispute: तिब्बत मुद्दे पर भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ता दिख रहा है। केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू (Kiren Rijiju) द्वारा दलाइ लामा (Dalai Lama) के उत्तराधिकारी को लेकर दिए गए बयान पर चीन ने सख्त आपत्ति जताई है। रिजिजू ने कहा था कि दलाइ लामा के उत्तराधिकारी का चयन सिर्फ वही या उनकी संस्था गदेन फोडरंग ट्रस्ट (Gaden Phodrang Trust) ही कर सकती है, कोई और नहीं। चीन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भारत को तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर सावधानीपूर्वक बोलने और कदम उठाने की सलाह दी है ताकि दोनों देशों के बीच रिश्तों पर नकारात्मक असर न पड़े।
चीन का बयान और चेतावनी
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग (Mao Ning) ने कहा: भारत को 14वें दलाइ लामा के अलगाववादी स्वभाव और चीन विरोधी गतिविधियों के बारे में स्पष्ट होना चाहिए और तिब्बत (Xizang) मुद्दे पर भारत ने जो वचन दिए हैं, उनका पालन करना चाहिए।
माओ ने कहा कि दलाइ लामा और पंचेन लामा (Panchen Lama) के पुनर्जन्म (Reincarnation) की प्रक्रिया में ऐतिहासिक परंपराओं और धार्मिक रस्मों के तहत 'गोल्डन अर्न' (Golden Urn) से नाम निकाला जाता है और केंद्रीय सरकार की मंजूरी जरूरी होती है। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा 14वें दलाइ लामा को भी इसी प्रक्रिया से चुना गया था।
दलाइ लामा का बयान और भारत का पक्ष
दलाइ लामा ने हाल ही में कहा था कि उनकी मृत्यु के बाद उनका पुनर्जन्म ही उनका अगला उत्तराधिकारी होगा और केवल गदेन फोडरंग ट्रस्ट ही उसकी पहचान करेगा। उन्होंने पहले भी स्पष्ट किया था कि उनका अगला जन्म चीन के बाहर होगा।
केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू, जो स्वयं बौद्ध हैं, ने कहा: किसी को भी दलाइ लामा के उत्तराधिकारी पर फैसला करने का अधिकार नहीं है। सिर्फ वे या उनकी संस्था ही इसे तय कर सकती है। उनके अनुयायी इसे गहराई से मानते हैं। रिजिजू और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह रविवार को धर्मशाला में दलाइ लामा के 90वें जन्मदिन समारोह में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं।
भारत-चीन संबंधों में नरमी के संकेत
2020 की सीमा झड़प के बाद भारत-चीन संबंधों में भारी गिरावट आई थी, लेकिन पिछले साल कज़ान (Kazan) में BRICS सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद रिश्ते सुधार की दिशा में बढ़े हैं। हाल ही में कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) को फिर से शुरू करना दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है।