सार
उत्तर कोरिया द्वारा किए गए बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च के संबंध में अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटनी ब्लिंकेन ने जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी से फोन पर बात की है।
वाशिंगटन। उत्तर कोरिया (North Korea) द्वारा बुधवार को किए गए बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile) लॉन्च ने अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटनी ब्लिंकेन ने इस संबंध में जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी से फोन पर बात की है।
दोनों नेताओं के बीच उत्तर कोरिया द्वारा किए गए बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च पर चर्चा हुई। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता नेड प्राइस ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने जापान की सुरक्षा की प्रतिबद्धता दोहराई है। नेड प्राइस ने कहा कि सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटनी ब्लिंकेन ने उत्तर कोरिया द्वारा किए गए मिसाइल लॉन्च की निंदा की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका द्वारा किया गया जापान की सुरक्षा का वादा लोहे की तरह मजबूत है।
कोरिया ने किया था हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट
दरअसल, समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने कोरियन न्यूज एजेंसी के अधिकारी के हवाले से दावा किया है कि उत्तर कोरिया ने एक हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल टेस्ट किया है। बुधवार को एकेडमी ऑफ डिफेंस साइंस द्वारा मिसाइल लॉन्च किया गया था। मिसाइल ने 700 किलोमीटर दूर स्थित टारगेट पर सटीक वार किया। इस टेस्ट से मिसाइल के नए फ्यूल सिस्टम को परखा गया था।
बता दें कि उत्तर कोरिया के पूर्वी तट से दागा गया मिसाइल जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र से बाहर गिरा था। जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा था कि पिछले साल से, उत्तर कोरिया ने बार-बार मिसाइलें दागी हैं, जो बहुत खेदजनक है। वहीं, रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने कहा कि संदिग्ध मिसाइल लगभग 500 किलोमीटर (310.7 मील) तक उड़ी। वहीं, दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ (जेसीएस) ने कहा कि अनुमानित मिसाइल को पूर्वी तट पर एक अंतर्देशीय स्थान से सुबह 8:10 बजे दागा गया था।
उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन ने पिछले दिनों देश की रक्षा जारी रखने का वादा किया था, लेकिन विशेष रूप से हथियार का उल्लेख नहीं किया था। अक्टूबर के बाद से पहले लॉन्च ने किम जोंग उन के नए साल के संकल्प को रेखांकित किया, जो दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ रुकी हुई बातचीत के बीच अस्थिर अंतरराष्ट्रीय स्थिति का मुकाबला करने के लिए सेना को मजबूत करने का था।
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