सार
Pakistan: जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने नेशनल असेंबली में बोलते हुए चेतावनी दी कि बलूचिस्तान के पांच से सात जिले "आजादी की घोषणा करने की स्थिति में" हैं। ऐसे मामले में संयुक्त राष्ट्र अगले ही दिन उन्हें मान्यता दे देगा।
उन्होंने दावा किया कि खैबर पख्तूनख्वा के दक्षिणी हिस्सों में कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है। यहां पुलिस चौकियों को बंद कर दिया गया है। पुलिस अधिकारी उस क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले "सशस्त्र समूहों" द्वारा घेराबंदी में हैं। रहमान ने कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में ऐसे इलाके हैं, जिन्हें 'सेना ने भी खाली कर दिया है'। उन्होंने पूछा, "किसका शासन होगा? पुलिस और सेना के नहीं रहने पर युद्धग्रस्त जगह पर कौन कब्जा करेगा?"
पाकिस्तान की भौतिक सीमाएं जल्द बदल सकती हैं
फजलुर रहमान ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के परिणामस्वरूप बांग्लादेश की मुक्ति का उल्लेख किया और चेतावनी दी कि इसी तरह की घटना फिर से हो सकती है। डॉन के अनुसार, रहमान नेशनल असेंबली में एक व्यवस्था के प्रश्न पर बोल रहे थे, जब सदन ने मानव तस्करी और संगठित भिक्षावृत्ति पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से शोर-शराबे वाले विपक्षी विरोध के बीच जल्दबाजी में पांच विधेयक पारित किए। JUI-F प्रमुख ने चेतावनी दी कि "पाकिस्तान की भौतिक सीमाएं जल्द ही बदल सकती हैं" जब तक कि बलूचिस्तान और केपी प्रांतों के साथ-साथ नए विलय हुए आदिवासी जिलों में राज्य के नियंत्रण की कमी सहित गंभीर चिंताओं को दूर करने के लिए कठोर उपाय नहीं किए जाते।
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पाकिस्तान के कुर्रम क्षेत्र में शिया और सुन्नी समूहों के बीच हुई हिंसा
रहमान की टिप्पणी नवंबर से उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान के कुर्रम क्षेत्र में युद्धरत शिया और सुन्नी समूहों के बीच हिंसा के एक नए दौर के मद्देनजर आई है।
स्थानीय पुलिस के हवाले से ARY न्यूज़ ने सोमवार को बताया कि कुर्रम में राहत सामग्री का एक काफिला हमले का शिकार हो गया। ARY न्यूज़ ने बताया कि अज्ञात हमलावरों ने कुर्रम के बगान ओछट इलाके में 100 वाहनों के राहत सामग्री के काफिले पर गोलियां चलाईं।
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अल जजीरा ने बताया कि अफगानिस्तान की सीमा से लगे पहाड़ी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सुन्नी और शिया मुसलमानों के बीच बढ़ती हिंसा में हाल के महीनों में लगभग 150 लोग मारे गए हैं।