सार
US Vs China on WHO: यूएसए के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेने के बाद कई बड़े ऐलान कर वैश्विक राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। उनके बड़े ऐलान में अमेरिका का डब्ल्यूएचओ से अलग होने की घोषणा भी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को छोड़ने के पहले प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। ट्रंप ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने अमेरिका को ठगा है। हालांकि, ट्रंप के ऐलान के तुरंत बाद चीन ने सबको चौका दिया। ड्रैगन ने डब्ल्यूएचओ का हर स्तर पर समर्थन करने का ऐलान किया है।
दरअसल, ट्रंप ने अमेरिका को डब्ल्यूएचओ से अलग हटने का निर्देश जारी करते हुए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन भी शपथ लेने के कुछ ही घंटों में कर दिया। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर कोविड महामारी से निपटने में विफलता और पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए यहां तक कहा कि संगठन ने अमेरिका को ठगने का काम किया है। ट्रंप ने कहा: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने COVID-19 महामारी और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संकटों को गलत तरीके से संभाला है। WHO, अनुचित राजनीतिक प्रभाव से स्वतंत्र रूप से कार्य करने में विफल रहा है। वह अमेरिका से अनुचित रूप से भारी भरकम पेमेंट लेता है जो चीन जैसे अन्य बड़े देशों द्वारा प्रदान की जाने वाली राशि के अनुपात में नहीं है। विश्व स्वास्थ्य ने हमें ठगा, हर कोई संयुक्त राज्य अमेरिका को ठगता है। अब ऐसा नहीं होने वाला है।
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चीन का आया बिना देर किए रिएक्शन, डब्ल्यूएचओ को फुल सपोर्ट
ट्रंप के ऐलान के बाद चीन ने बिना देर किए अपना रिएक्शन दिया। चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन का समर्थन करने का ऐलान करते हुए कहा कि डब्ल्यूएचओ मानवता के लिए जरूरी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा: डब्ल्यूएचओ की भूमिका को केवल मजबूत किया जाना चाहिए, कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। चीन हमेशा की तरह डब्ल्यूएचओ को अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में समर्थन देगा और मानवता के लिए स्वास्थ्य के साझा समुदाय के निर्माण की दिशा में काम करेगा।
डब्ल्यूएचओ ने किया अमेरिका से फिर से विचार की अपील
उधर, डब्ल्यूएचओ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऐलान पर दुख जताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि अमेरिका और हम मिलकर न जाने कितनी जानें बचायी है। दर्जनों महामारियों से मानव जीवन को बचाया है। अमेरिका के निर्णय से दु:ख है, आशा है कि वह एक बार फिर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा।
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