सार

निर्भया मामले में कोर्ट ने आरोपियों को फांसी की सजा दे दी है। 22 जनवरी होगा वो दिन, जब इस मामले के 4 आरोपियों को फांसी के तख्ते पर लटकाया जाएगा। इसके लिए कोर्ट ने सुबह 7 बजे का समय तय किया है। इसके पीछे एक ख़ास कारण है। 

नई दिल्ली: जैसे ही निर्भया मामले में फैसला आया, देशभर में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। इस मामले के चारो आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। सभी को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी पर चढ़ाया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं, इसके लिए सुबह 7 बजे का समय ही क्यों तय किया गया है। दरअसल, 22 जनवरी को सूर्योदय का समय 7 बजकर 3 मिनट है। इस कारण कोर्ट ने सुबह 7 बजे का समय तय किया है। 

इसके अलावा भी कई अन्य कारणों से कैदियों को फांसी सुबह के समय दी जाती है, वो भी सूरज के निकलने से पहले। इसके पीछे एक ख़ास कारण है। दरअसल, किसी की जान लेना इंसान को अशांत कर देता है। ऐसे में जल्लाद की दिन की शुरुआत किसी को मौत देकर कैसे करवाई जा सकती है। इसके अलावा भी कई कारण हैं। 

नैतिक वजहें
ऐसा माना जाता है की अपराधी को दिन भर का इंतज़ार नहीं करना चाहिए। नहीं तो उसके दिमाग पर बहुत ही गहरा असर पड़ता है। इसलिए अपराधी को सुबह उठाकर नित्य क्रिया से नीवृत होकर फांसी के लिए ले जाया जाता है और दूसरी वजह ये भी है कि सुबह होते हीं सभी लोग अपने काम में लग जाते हैं।   उसी तरह जेल में भी लोग सुबह अपने कामों में लग जाते हैं, इसलिए भी फांसी की सजा सूर्योदय से पहले दे दी जाती है, जिससे दूसरों पर भी इसका बुरा प्रभाव ना पड़े। 

सामाजिक वजहें
जिसने बहुत ही बुरा कर्म किया हो उसे ही फांसी की सजा दी जाती है। इसलिए समाज में इसका बुरा असर ना हो इस बात को भी ध्यान में रखते हुए, सूर्योदय से पहले ही फांसी दे दी जाती है। 

प्रशासनिक वजहें
अपराधी को फांसी देने से पहले और बाद में कई तरह की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है, जैसे मेडिकल टेस्ट, कई जगह नोट्स भेजने होते हैं, कई रजिस्टरों में एंट्री करनी पड़ती है। इन सब प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद शव को उनके परिवारवालों को भी सौंपना रहता है। ये भी एक बड़ा कारण है कि सूर्योदय से पहले ही फांसी दे दी जाती है।