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आखिर कौन है भीम आर्मी का 'रावण' चंद्रशेखर आज़ाद? दर्ज हैं कितने केस?

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अब क्यों चर्चा में आए चंद्रशेखर?

भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ रावण प्रयागराज की घटना के बाद से फिर चर्चा में हैं। जानें उनके राजनीति और जेल से संसद तक के सफर की पूरी कहानी।

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कितने पढ़े लिखे हैं चंद्रशेखर?

3 दिसंबर 1986 को सहारनपुर में जन्में चंद्रशेखर ने गरीबी और भेदभाव झेला। देहरादून से लॉ की पढ़ाई कर सिस्टम से लड़ने का जुनून साथ लाए।

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‘रावण’ क्यों बने?

रावण नाम इसलिए अपनाया क्योंकि वो बहन के सम्मान के लिए लड़ा। चंद्रशेखर इसे दलित अस्मिता और विद्रोह का प्रतीक मानते हैं।

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भीम आर्मी की नींव

2014 में विनय रतन आर्य संग 'भीम आर्मी' बनाई। मकसद—शिक्षा, आत्मसम्मान और अधिकार के लिए दलितों को जागरूक करना।

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2017 की हिंसा और पहली गिरफ़्तारी

शब्बीरपुर जातीय हिंसा में आरोप लगे, 15 महीने जेल में रहे। 'रावण' तब राष्ट्रव्यापी दलित आवाज़ बनकर उभरे। उन पर 9 जिलों में कुल 17 मुकदमें दर्ज हैं।

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TIME मैगज़ीन की पहचान

2021 में TIME मैगज़ीन ने चंद्रशेखर को ‘100 उभरते नेताओं’ की लिस्ट में शामिल किया। दुनियाभर की नजरें तब उन पर टिकीं।

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सोशल मीडिया के योद्धा

फेसबुक और व्हाट्सऐप के ज़रिए लाखों युवाओं को जोड़ा। ‘दलित डिजिटल आंदोलन’ खड़ा कर दिया।

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संसद तक का सफर

2024 में नगीना से MP चुने गए। आजाद समाज पार्टी के बैनर तले उन्होंने नया राजनीतिक इतिहास रचा।

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हरियाणा में नई सियासी चाल

JJP संग गठबंधन कर हरियाणा में दलित+जाट समीकरण तैयार कर रहे। मिशन–2025 को फतह करना है।

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