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भगवान बद्रीनाथ से पहले क्यों लगाते हैं ‘कॉकरोच’ को भोग?

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4 धाम में से एक है बद्रीनाथ

उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ भी शामिल है। ये मंदिर बहुत ही प्राचीन है। इससे जुड़ी कईं विशेष मान्यताएं और परंपराएं भी हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं।

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कॉकरोच को लगाते हैं भोग

बद्रीनाथ मंदिर में भगवान को भोग लगाने से पहले कईं जीव-जंतुओं को भोग लगाया जाता है, इनमें कॉकरोच भी शामिल है। सुनने में ये बात अजीब लगे लेकिन ये पूरी तरह से सच है।

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कॉकरोच को कहते हैं झोड़ू सांगला

कॉकरोच को उत्तराखंड की स्थानीय भाषा में झोड़ू सांगला कहते हैं। प्रतिदिन दोपहर में भगवान बद्रीनाथ को राजभोग लगाया जाता है। लेकिन इसके पहले कॉकरोच को भोग लगाने की परंपरा है।

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इसलिए लगाते हैं कॉकरोच को भोग

मान्यता है कि भगवान बद्रीनाथ राजभोग ग्रहण करने से पहले सभी जीव-जंतुओं को तृप्त करते हैं। इसी मान्यता के चलते अन्य पशु-पक्षियों के साथ कॉकरोच को भी भोग लगाया जाता है।

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किस चीज का लगाते हैं भोग?

बद्रीनाथ मंदिर में रोज दोपहर के समय कॉकरोचों को चावल का भोग लगाने की परंपरा हैं जो तप्तकुंड के पास गरुड़ कुटी में रखा जाता है। इसके बाद ही भगवान को भोग लगाते हैं।

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इन जीव-जंतुओं को भी लगाते हैं भोग

बद्रीनाथ मंदिर में कॉकरोच के साथ-साथ गाय और पक्षियों को भी भोग लगाया जाता है। इस परंपरा की शुरूआत 8वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी, ऐसा कहा जाता है।

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