हर रेलवे स्टेशन पर दो अलग-अलग यूनिफॉर्म वाले जवान दिखते हैं… लेकिन क्या आप जानते हैं इनमें कौन करता है गिरफ्तारी और कौन है असली सिक्योरिटी मास्टर? जानिए चौंकाने वाला सच।
GRP यानी Government Railway Police, राज्य पुलिस का हिस्सा है। ट्रेनों में अपराध, झगड़े और FIR की जिम्मेदारी GRP के पास होती है। जानिए इसकी असली ताकत!
RPF एक केंद्रीय बल है जो रेलवे की संपत्ति और यात्रियों की सुरक्षा में लगा रहता है। चोरी से लेकर तस्करी तक पर नजर रखता है ये फोर्स। क्या आपने ध्यान दिया?
अगर ट्रेन में चोरी हो जाए या हत्या हो जाए – किसे कॉल करें? GRP के पास CrPC के तहत गिरफ्तारी और FIR का अधिकार है, जबकि RPF के अधिकार सीमित हैं।
GRP और RPF दोनों खाकी वर्दी में होते हैं, लेकिन बैज और चिन्ह अलग हैं। एक की वर्दी पर ‘RPF’ चमकता है, दूसरे पर ‘GRP’। जानिए कैसे पहचानें इनका फर्क।
GRP की शुरुआत 1887 में बंबई-बंगाल से हुई, जबकि RPF का जन्म 1854 के वॉच एंड वार्ड से हुआ। क्या आप जानते हैं RPF को 1985 में सशस्त्र बल घोषित किया गया?
जहां GRP अपराध जांच में एक्सपर्ट है, वहीं RPF रेलवे की संपत्ति और यात्रियों की सुरक्षा में। दोनों की दुनिया अलग, लेकिन एक ही लक्ष्य – रेलवे को सुरक्षित बनाना।
अब जब आप स्टेशन या ट्रेन में हों और वर्दीधारी दिखे, तो समझ जाइए कौन GRP है और कौन RPF। अगली बार भ्रम नहीं, जानकारी के साथ देखेंगे – कौन है असली रक्षक!
रेलवे में कानून-व्यवस्था GRP संभालती है और सुरक्षा RPF, लेकिन बड़े केस में दोनों साथ मिलकर करती हैं छानबीन... क्या कभी उनके बीच टकराव भी होता है?