दुनिया भर में आजादी-लोकतंत्र की पहचान स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी सुर्खियों में है। दरअसल, ब्राजील के गुआइबा शहर में आए भीषण तूफान में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की 40 मीटर ऊंची प्रतिकृति गिर गई।
इस घटना के बाद लोगों के मन में एक बार फिर असली स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को लेकर जिज्ञासा बढ़ गई है। कैसे बनी थी यह प्रतिमा और किन-किन घटनाओं की साक्षी रही है, जानिए रोचक फैक्ट्स।
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी अमेरिका के न्यूयॉर्क हार्बर में स्थित है और यह फ्रांस की ओर से अमेरिका को दिया गया उपहार है। इसे साल 1886 में समर्पित किया गया था।
इसका पूरा नाम 'Liberty Enlightening the World' है। इसका डिजाइन फ्रांस के मूर्तिकार फ्रेडरिक ऑगस्ट बार्थोल्डी ने तैयार किया था। मूर्ति के अंदर का ढांचा गुस्ताव एफिल ने बनाया था।
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को फ्रांस में 1875-1884 के बीच तैयार किया गया। इसे 350 टुकड़ों में खोलकर जहाज से अमेरिका भेजा गया। साल 1885 में यह न्यूयॉर्क पहुंची और फिर इसे दोबारा जोड़ा गया।
शुरुआत में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का रंग तांबे जैसा चमकदार था, लेकिन करीब 30 सालों में ऑक्सीडेशन के कारण यह हरे रंग की हो गई।
मूर्ति के मुकुट में मौजूद सात किरणें सात महाद्वीपों और सात समुद्रों का प्रतीक हैं, जो पूरी दुनिया में आजादी का संदेश देती हैं।
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के बाएं हाथ में पकड़ी पट्टिका पर रोमन में 4 जुलाई 1776 लिखा है, जो अमेरिका की स्वतंत्रता तिथि है। पैरों के पास पड़ी टूटी जंजीरें गुलामी से मुक्ति का प्रतीक हैं।
इसकी ऊंचाई 305 फीट है। इसका वजन करीब 225 टन है। सिर्फ सिर की लंबाई 17 फीट और तर्जनी उंगली करीब 8 फीट लंबी है। पर्यटक मुकुट तक पहुंचने के लिए 354 सीढ़ियां चढ़ते हैं।
1916 के ब्लैक टॉम विस्फोट से मूर्ति के मशाल को नुकसान पहुंचा था। 1924 में राष्ट्रपति कूलिज ने राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया। 9/11 हमले के बाद 2001 में अस्थायी रूप से बंद किया गया था।