वाराणसी, जिसे हम बनारस या काशी के नाम से भी जानते हैं, न सिर्फ भारत का बल्कि पूरी दुनिया का सबसे प्राचीन शहर माना जाता है। गंगा नदी के किनारे बसा ये शहर करीब 3,000 साल पुराना है।
बनारस की हर गली, घाट और मंदिर में कुछ न कुछ ऐसा है जो मन को छू जाता है। चलिए, जानते हैं वाराणसी से जुड़ी ऐसी 10 बातें जो इसे भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का खास शहर बनाती हैं।
बनारस को दुनिया के सबसे पुराने बसे हुए शहरों में गिना जाता है। यहां इंसानी बस्तियों के प्रमाण ईसा पूर्व 12वीं सदी से मिलते हैं।जाने कितने साम्राज्य बदले, लेकिन बनारस आज भी टिका है।
बनारस हिंदू धर्म के 7 सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में है। मान्यता है इसे स्वयं भगवान शिव ने बसाया था। कहते हैं किसी का अंतिम संस्कार बनारस के घाटों पर होता है तो उसे मोक्ष मिलता है।
गंगा नदी इस शहर की आत्मा है। यहां के घाट– जैसे दशाश्वमेध, मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट ना सिर्फ धार्मिक क्रियाओं के केंद्र हैं, बल्कि जीवन और मृत्यु का दर्शन भी कराते हैं।
बनारस से 10 किलोमीटर दूर सारनाथ है जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला उपदेश दिया था। यहीं से बौद्ध धर्म की शुरुआत हुई। आज भी सारनाथ में स्तूप, मठ और संग्रहालय हैं।
वाराणसी भारतीय शास्त्रीय संगीत और कला का गढ़ है। बनारस घराना दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहीं से पंडित रवि शंकर और उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जैसे दिग्गज कलाकारों ने अपनी पहचान बनाई।
काशी का अर्थ है प्रकाशमय। शाम के समय जब घाटों पर गंगा आरती होती है और हजारों दीये जलते हैं, तो पूरा माहौल आध्यात्मिक रोशनी से भर जाता है। इसलिए इसे City of Light भी कहते हैं।
भले ही अभी तक वाराणसी को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा न मिला हो, लेकिन इसकी पहचान अब वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है। जिससे लोग बनारस की ओर खिंचे चले आते हैं।
वाराणसी सदियों से ज्ञान और शिक्षा का केंद्र रहा है। यहां स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) आज एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक है।
प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन ने बनारस की यात्रा के बाद कहा था "बनारस इतिहास से पुराना है, परंपरा से भी पुराना, यहां तक कि किंवदंतियों से भी पुराना"
त्योहारों के समय ये शहर जैसे रंगों और रौशनी में नहा जाता है। होली हो या दीवाली या महाशिवरात्रि, बनारस की गलियां और घाट उल्लास से भर जाते हैं।