सार

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत बड़ौत शहर पहुंचे। यहां उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार यूक्रेन में हो रहे युद्ध में से भी वोट तलाश कर रही है।  जिसका नाम ऑपरेशन गंगा दिया गया है। वहां से जितने छात्र आ रहे हैं, उनके बयान करा रही है जो सरकार के पक्ष में देते हैं। जो असलियत बता रहे हैं उसे नहीं दिखा रहे हैं। 

बागपत: उत्तर प्रदेश में कल यानी 3 मार्च को छठे चरण की मतगणना होनी है। जिसके लिए पार्टियों ने सभी तैयारियां कर ली है। अब राजनीतिक दल बचे हुए चरण यानी सातवें चरण के लिए ताकत झोंकना शुरू कर चुके हैं। इसी कड़ी में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत बड़ौत शहर के बावली रोड स्थित कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष चौधरी रामकुमार के आवास पर पहुंचे। यहां उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार यूक्रेन में हो रहे युद्ध में से भी वोट तलाश कर रही है।  जिसका नाम ऑपरेशन गंगा दिया गया है। वहां से जितने छात्र आ रहे हैं, उनके बयान करा रही है जो सरकार के पक्ष में देते हैं। जो असलियत बता रहे हैं उसे नहीं दिखा रहे हैं। सरकार से सवाल किया कि क्या यह समय भी छात्रों से पैसा कमाने का है। भारत सरकार के लिए चुनाव पहले था या भारत के बच्चे।

भारत उत्तर कोरिया की तरफ बढ़ रहा
दिल्ली के किसान आंदोलन में किसानों पर मुकदमे वापसी पर बोले कि हां पता चला है कि कुछ मुकदमे वापस हुए हैं और कुछ मुकदमे छोड़े दिए हैं उनकी डिटेल मंगवाई है। अगर कोई जघन्य अपराध या कत्ल का मुकदमा होगा तो हम उसका स्पष्टीकरण देंगे यदि कोई मुकदमा कोर्ट में है तो कोर्ट का फैसला देगी। इस समझौते में था कि जब समझौता होता है तो सारी चीजें खत्म हो जाती है। इस विवाद में किसानों के भी 5000 से ट्रैक्टर तोड़े गए हैं। 13 माह आंदोलन चला है। 22 जनवरी को भारत सरकार से आखिरी बातचीत हुई है उसके बाद बात नहीं हुई। सरकार तो पहले भी होती थीं, वे मिलकर बात किया करती थीं। अगर सरकार किसी पार्टी की होती तो वह अवश्य बातचीत करती। देश उत्‍तर कोरिया बनने की ओर बढ़ रहा है। अगर ऐसा हो रहा है तो यह सब देश को नहीं होना। सवाल किया कि क्या दुनिया का किंग जोंग भारत में पैदा होगा।

किसानों की फसलो को डिजिटल इंडिया से जोड़ा जाएं
राकेश टिकैत ने गन्ना भुगतान पर कहा कि किसानों की फसलें भी डिजिटल इंडिया कैंपेन से जोड़ दी जाए तो गन्ने का भुगतान भी समय से हो जाए। गन्ना बेल्ट में एक साल से गन्ने का बकाया भुगतान नहीं हुआ है। कई ऐसी चीनी मिल भी हैं, जिन्होंने चुनाव के दौरान भुगतान 10 या 15 दिन में भी किया है। सरकार जब चाहे भुगतान करवा सकती है। यदि चुनाव हर साल हो जाएंगे तो गन्ने का भुगतान भी हर साल हो सकता है, इसलिए देश में एक बड़े आंदोलन की जरूरत है उससे कुछ बदलाव हो सकता है। इतना ही नहीं राकेश टिकैत कहते है कि 9 मार्च को मतगणना स्थल के आसपास ट्रैक्टर लेकर पहुंच जाना। सरकार ने जो जिला पंचायत में किया है उसे नरंदाज नहीं किया जा सकता है।

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