सार
डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक परिवार ने अपना मुखिया खो दिया। उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल की जांच में डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई है। इलाज में लापरवाही बरतने के दौरान मरीज की मौत हो गई। लेकिन चार साल बाद भी परिवार को न्याय नहीं मिला।
लखनऊ: डॉक्टर अपने काम में लापरवाही नहीं बरत सकता है। यदि कोई डॉक्टर ऐसा करता है तो उसका खामियाजा मरीज को भुगतना पड़ता है। लेकिन कई बार मरीजों का इलाज करते वक्त डॉक्टरों की लापरवाही के किस्से सामने आते हैं। डॉक्टर की इसी लापरवाही के चलते कई बार बात मरीज की जान पर भी बन आती है। डॉक्टरों की लापरवाही का ऐसा ही एक मामला अजंता हॉस्पिटल में सामने आया है। एक युवक ने अजंता अस्पताल में सेवा दे रहे दो डॉक्टरों पर अपने पिता के इलाज के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। जिसके चलते उनके पिता की मौत हो गई।
सदमे में हैं पूरा परिवार
आशियाना में रहने वाले अजय चतुर्वेदी के अनुसार, डॉक्टरों की लापरवाही के चलते उनके पिता व घर के मुखिया श्यामसुंदर की मौत हो गई। चार साल से पूरा परिवार सदमे में है और उनकी मां अक्सर अपने पति को याद कर बेसुध हो जाती हैं। अजय नहीं चाहते हैं कि जो लापरवाही उनके पिता के साथ हुई है वह किसी और परिवार के साथ हो। इसलिए उन्होंने अपने पिता को न्याय दिलाने के लिए और इलाज में लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों पर कड़ी कार्यवाही करना चाहते हैं जिससे कि उनके घर की तरह किसी और का घर परिवार न बर्बाद हो। अजय चतुर्वेदी पेशे से ऑटोमोबाइल पार्ट्स के व्यापारी हैं।
लापरवाही के चलते गई मरीज की जान
अजय ने केंद्र सरकार खासकर पीएमओ व स्वास्थ्य मंत्रालय और नेशनल मेडिकल कमीशन को पत्र लिखा है। इस पत्र द्वारा अजय ने मांग की है कि उनके पिता श्यामसुंदर चतुर्वेदी की मौत के आरोपी डॉक्टरों की भूमिका की जांच की जाए। अजय चतुर्वेदी के मुताबिक सात साल पहले डॉक्टरों की लापरवाही के चलते उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। परिवार की अनुमति लिए बिना उनके पिता को वेंटिलेटर पर रखा गया और साइडइफेक्ट्स 'बेड सोर' का सही से ट्रीटमेंट भी नहीं किया गया। अजंता हॉस्पिटल में कार्यरत डॉ. दीपक दीवान (अब एमडी, रीजेंसी हॉस्पिटल) और सिप्स के निदेशक डॉ. रितेश पुरवार ने 'दुरभि-संधि' कर इलाज के नाम पर उनसे लाखों रुपए लिए थे।
यूपी मेडिकल काउंसिल ने मानी डॉक्टरों की लापरवाही
अजय ने सारे साक्ष्य जुटाकर पीएमओ केंद्र सरकार, नेशनल मेडिकल कमीशन व स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर मांग की है कि इस मामले में दोनों डॉक्टरों पर कार्यवाही की जाए। पीड़ित ने इससे पहले उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल में डॉक्टरों की लापरवाही के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें काउंसिल ने 25 अगस्त 2017 को जांच के दौरान माना था कि डॉक्टरों द्वारा इलाज में लापरवाही की गई थी। साथ ही परिवारजनों की गवाही, डेट और भाई का पूरा नाम जैसी प्रक्रिया को अंकित भी नहीं किया गया। श्यामसुंदर चतुर्वेदी सही इलाज न मिलने के कारण उन्हें अप्राकृतिक मौत की ओर धकेला गया।
जानें, क्या बोले जिम्मेदार
अजंता अस्पताल के पूर्व चिकित्सक डॉ. दीपक दीवान का इस पूरे मामले पर कहना है कि इस केस में हमें बेवजह घसीटा जा रहा है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इसलिए कुछ नहीं कह सकते, फैसला आने का इंतजार करिए। वहीं सिप्स अस्पताल के निदेशक डॉ. रितेश पुरवार ने कहा है कि अस्पताल में बहुत से मरीज भर्ती होते हैं। इलाज के दौरान जिनकी मृत्यु होती है, उन सबमें हमारा क्या दोष है?