सार
पीसीएस अफसर से दुर्व्यवहार करने वाले अमेठी के डीएम प्रशांत कुमार का गुरुवार को ट्रांसफर कर दिया गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशांत कुमार की जगह मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अरुण कुमार को अमेठी का नया डीएम नियुक्त किया है। जबकि प्रशांत कुमार को वेटिंग लिस्ट में रखते हुए फिलहाल कहीं पोस्टिंग नहीं दी गई है।
अमेठी (Uttar Pradesh). पीसीएस अफसर से दुर्व्यवहार करने वाले अमेठी के डीएम प्रशांत कुमार का गुरुवार को ट्रांसफर कर दिया गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशांत कुमार की जगह मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अरुण कुमार को अमेठी का नया डीएम नियुक्त किया है। जबकि प्रशांत कुमार को वेटिंग लिस्ट में रखते हुए फिलहाल कहीं पोस्टिंग नहीं दी गई है।
क्या है पूरा मामला
मामला गौरीगंज कोतवाली क्षेत्र के मुसाफिरखाना मार्ग पर स्थित बिशुनदासपुर का है। यहां रहने वाले अर्पित और चंद्रशेखर के बीच बीते मंगलवार शाम पुराने विवाद को लेकर कहासुनी हो गई। बात इतनी बढ़ी कि बीजेपी नेता शिवनायक सिंह के बेटे और भट्ठा व्यवसायी सोनू सिंह बीच-बचाव करने मौके पर पहुंच गए। इस बीच चंद्रशेखर ने सोनू पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी। स्थानीय लोगों ने सोनू को अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी मौत हो गई। घटना के दूसरे दिन यानी बुधवार को आक्रोशित भीड़ ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। सूचना मिलते ही एसपी दयाराम सरोज और डीएम प्रशांत कुमार मौके पर पहुंचे। इस बीच डीएम नारेबाजी से इतना नाराज हुए कि उन्होंने मृतक सोनू सिंह के चचेरे भाई और पीसीएस अधिकारी सुनील सिंह का कॉलर पकड़कर खींचा।
अमेठी की सांसद स्मृति ने भी डीएम को दी थी सलाह
प्रियंका से पहले मामले में अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी ने ट्वीट कर डीएम को उनके कर्तव्य का एहसास कराया था। ट्वीट में उन्होंने डीएम अमेठी को टैग करते हुए लिखा, विनयशील एवं संवेदनशील बनें, हमारी यही कोशिश होनी चाहिए। जनता के हम सेवक हैं, शासक नहीं।
डीएम पर भड़की प्रियंका गांधी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने सोशल अकाउंट पर इसका वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ये कैसा व्यवहार है डीम साहेब? वीडियो में अमेठी के कलेक्टर महोदय जिस व्यक्ति से दुर्व्यवहार कर रहे हैं, उनके भाई की बदमाशों ने हत्या कर दी। बीजेपी सरकार में प्रशासन का बल अपराधियों पर तो चलता नहीं। पीड़ित परिवारों के लोगों के साथ इस तरह का शर्मनाक व्यवहार किया जाता है।