सार
श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) शुरू हो चुका है। ये समय पितरों के प्रति प्रेम और श्रद्धा प्रकट करने का होता है। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों हमारे पूर्वज किसी ना किसी रूप में धरती पर वापस आते हैं। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के लिए पूजा-पाठ करते हैं और उनसे अपनी गलतियों से क्षमा मांगते हैं।
उज्जैन. श्राद्ध के दिनों में दान-पुण्य किया जाता है और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। ऐसा करने से पूर्वज खुश होते हैं औप आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते है। श्राद्ध (Shraddha Paksha 2021) में तर्पण का विशेष महत्व होता है।
तर्पण का खास महत्व
पितृपक्ष के महीने में तर्पण का खास महत्व है, ऐसा माना जाता है कि तर्पण करने से इंसान पितृदोष से मुक्त होता है। मान्यता ये भी है कि पितृ पक्ष के दौरान तर्पण करने से मृत परिजनों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। शाब्दिक रूप में माने तो पितरों को जल देने की विधि को तर्पण कहा जाता है।
कैसे करें तर्पण?
दो पीतल के या स्टील के पात्र लीजिए। एक में पानी भरिए और उसमें काले तिल और दूध मिला दीजिए। इसके बाद आप दोनों हथेलियों की अंजुली बनाएं और कुशा लेकर अपने पूर्वज का नाम लीजिए और उनका ध्यान करते अंजुली से पात्र के पानी को खाली वाले पात्र में अंगूठे के माध्यम से डालिए। ऐसा कम से कम तीन बार कीजिए।
तर्पण करते हुए निम्निलिखित मंत्रों का जाप करना चाहिए
तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। (जिसके नाम पर कर रहे हैं उनका नाम और गोत्र का नाम पहले ले लें और फिर मंत्र का जाप करें)
तर्पण करते समय अंगूठे से छोड़ते हैं जल
तर्पण में पिंडों पर अंगूठे के माध्यम से जलांजलि दी जाती है। ऐसी मान्यता है कि अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इसके पीछे का कारण हस्त रेखा से जुड़ा है। हस्त रेखा के अनुसार, पंजे के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, वह हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है। इस प्रकार अंगूठे से चढ़ाया जल पितृ तीर्थ से होता हुआ पिंडों तक जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृ तीर्थ से होता हुआ जल जब अंगूठे के माध्यम से पिंडों तक पहुंचता है तो पितरों की पूर्ण तृप्ति का अनुभव होता है। यही कारण है कि हमारे विद्वान पूर्वजों ने पितरों का तर्पण करते समय अंगूठे के माध्यम से जल देने की परंपरा बनाई।
श्राद्ध पक्ष के बारे में ये भी पढ़ें
Shradh Paksha: चीन, जापान, जर्मनी आदि देशों में भी पितरों की याद में किए जाते हैं धार्मिक आयोजन
Shradh Paksha: किस तिथि और नक्षत्र में किए गए श्राद्ध का क्या फल मिलता है, बताया गया है महाभारत में
कुंडली में है पितृ दोष तो आपके लिए बहुत खास है श्राद्ध पक्ष, अशुभ फल से बचने के लिए करें ये उपाय
Shradh Paksha: मृत्यु तिथि याद न हो तो किस दिन करें पितरों का श्राद्ध? ये है सबसे आसान विधि
Shradh Paksha: सबसे पहले किसने किया था श्राद्ध, इन 16 दिनों में कौन-से काम नहीं करना चाहिए?
Shradh Paksha: श्राद्ध पक्ष में तर्पण और पिंडदान करने से मिलती है पितृ ऋण से मुक्ति, जानिए महत्व