सार

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई व्रत किए जाते हैं। प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर किया जाने वाला शिव चतुर्दशी (shiv chaturdashi 2022) व्रत भी इनमें से एक है। इस बार ये व्रत 30 मार्च, बुधवार को है। इसे मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) व्रत भी कहते हैं।

उज्जैन. धर्म ग्रंथों में शिव चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत में रात्रि पूजन का भी विशेष महत्व रहता है। मान्यता है कि ये व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं और हर मुश्किल काम आसान हो जाता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय भी किए जा सकते हैं। ये उपाय बहुत ही आसान होते हैं। जो लोग प्रत्येक महीने में शिव चतुर्दशी व्रत करते हैं उनके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आगे जानिए शिव चतुर्दशी व्रत की विधि और शुभ मुहूर्त…

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जानिए कब से कब तक रहेगी चतुर्दशी तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार चैत्र कृष्ण चतुर्दशी तिथि 30 मार्च को दोपहर 01:19 से शुरु होगी जो 31 मार्च को दोपहर 12:22 पर समाप्त होगी। उदया तिथि बुधवार को होने से इस दिन ये व्रत किया जाएगा। बुधवार को रात्रि पूजा का मुहूर्त 12:02 से 12:48 तक है। 

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इस दिन बन रहे हैं ये 2 शुभ योग
30 मार्च, बुधवार को सूर्योदय शतभिषा नक्षत्र में होगा, जो सुबह 10.48 तक रहेगा। इसके बाद पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। बुधवार को पहले शतभिषा नक्षत्र होने से मानस और उसके बाद पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र होने से पद्म नाम के 2 शुभ योग इस दिन बन रहे हैं।

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शिव पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री
फूल, फल, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, आदि।

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ये है शिव चतुर्दशी व्रत की पूजा विधि
- शिव चतुर्दशी की सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं। भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें। भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- इस विधि से शिवजी की पूजा करें। इससे आपकी जीवन की परेशानियां दूर हो सकती हैं।

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