सार
Nagpanchami 2022: ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के शुभ-अशुभ योगों के बारे में बताया गया है। कालसर्प योग भी इनमें से एक है। ज्योतिषियों के अनुसार, जब राहु और केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प योग का निर्माण होता है।
उज्जैन. कालसर्प योग जिस किसी की भी कुंडली में होता है, उसे अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस योग के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई उपाय भी बताए गए हैं। ये उपाय नागपंचमी पर किए जाएं तो और भी शुभ रहता है। इस बार 2 अगस्त, मंगलवार को नागपंचमी (Nagpanchami 2022) है। आगे जानिए इस दिन आप कालसर्प दोष के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए कौन-से उपाय कर सकते हैं…
कालसर्प यंत्र की स्थापना करें
नागपंचमी पर कालसर्प यंत्र की स्थापना अपने घर के मंदिर में करें। ये यंत्र बाजार में धार्मिक चीजों की दुकान पर आसानी से मिल जाता है। इसे घर लेकर आएं और विधि-विधान से इसकी स्थापना करें। बाद में रोज इसकी पूजा करें। इससे कालसर्प दोष के अशुभ प्रभाव धीरे-धीरे खत्म होने लगता है और परेशानियां भी।
चांदी के नाग-नागिन शिवलिंग पर चढ़ाएं
नागपंचमी पर चांदी से निर्मित नाग-नागिन का जोड़ घर लेकर आएं और इसकी विधि-विधान से पूजा करें। बाद में इसे किसी शिवलिंग पर चढ़ाकर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें। संभव हो तो शिवलिंग पर इसे चढ़ाते समय सर्प सूक्त का पाठ करें। इससे और भी फायदा हो सकता है।
इस मंत्र का जाप करें
नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद घर के मंदिर के सामने कुशा के आसन पर बैठकर नीचे लिखे मंत्र का जाप का कम से कम 108 बार जाप करें। इससे कालसर्प दोष का अशुभ प्रभाव कम हो सकता है। ये मंत्र इस प्रकार है-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात: काले विशेषत:।
नागदेवता पर ये चीजें चढ़ाएं
नागपंचमी पर सुबह स्नान आदि करने के बाद नागदेवता की पूजा करें और सफेद चीजें जैसे चावल, शक्कर, दूध आदि चढ़ाएं। बाद में इन्हें गरीबों में बांट दें। गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं। इन उपायों से भी कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है।
राहु-केतु के मंत्रों का जाप करें
नागपंचमी पर राहु-केतु के मंत्रों का जाप करें क्योंकि कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण इन्हीं दो ग्रहों के कारण होता है। इन दोनों के मंत्रों का जाप करने से इनकी शांति होती है और कालसर्प दोष का प्रभाव भी धीरे-धीरे कम होने लगता है। ये उपाय रोज या प्रत्येक अमावस्या पर भी कर सकते हैं।
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