वियतनाम में भारतीय पर्यटकों के खराब व्यवहार की शिकायत सामने आई है। पॉडकास्ट होस्ट रवि हांडा ने बताया कि ट्रेन में शोर-शराबा और लाइन में घुसने जैसी घटनाएं हुईं। इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।

यात्रा का मकसद क्या होता है? नई जगहों को देखना, वहाँ के लोगों के जीवन को समझना और अपने जीवन में एक नया नज़रिया लाना। इसलिए कहा जाता है कि हर यात्रा हमें बदल देती है। लेकिन, भारतीय पर्यटकों के बारे में प्रमुख पर्यटन स्थलों से शिकायतें बढ़ रही हैं। कहा जा रहा है कि भारतीय पर्यटक जहाँ जाते हैं, वहाँ अपनी मनमानी करते हैं और आसपास के लोगों का ख्याल नहीं रखते। अब वियतनाम गए एक उत्तर भारतीय ने भी ऐसी ही शिकायत की है।

भारतीय पॉडकास्ट 'देसी फायर' के होस्ट रवि हांडा ने अपने पॉडकास्ट में यह शिकायत की। उन्होंने बताया कि वियतनाम में उत्तर भारतीय पर्यटकों ने ट्रेन में बहुत शोर मचाया। रवि ने लिखा, 'मैं नए साल की छुट्टी पर वियतनाम गया था, गोवा भी एक विकल्प था। लेकिन ट्विटर पर आप लोग जिस वजह से हंगामा करते हैं, उसकी वजह से नहीं। गोवा में बहुत सारे उत्तर भारतीय पर्यटक हैं, और वे यात्रा के अनुभव को खराब करते हैं।' उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ़ गोवा ही नहीं, वियतनाम में भी उत्तर भारतीय पर्यटकों का व्यवहार खराब था।

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कुछ यात्रियों ने अचानक ट्रेन के डिब्बे में 'भारत माता की जय' के नारे लगाने शुरू कर दिए। एक दंपति, जिन्होंने अपने आसपास अन्य भारतीयों को देखा, लाइन बदलने के लिए आगे बढ़े। पति ने कहा, 'यहाँ कोई तुम्हें नहीं रोकेगा।' कई लोग लाइन में घुसने लगे। वे सभी भारतीय थे। मैंने एक केबल कार रोकी। बीच में घुसकर उन्होंने कहा, 'हमारे पास स्पेशल पास है।' रवि ने लिखा कि उसने फिर बहस नहीं की।

दीपक शेणॉय के एक्स हैंडल से गोवा के बजाय थाईलैंड क्यों चुना, इस पोस्ट के जवाब में रवि हांडा ने अपनी पोस्ट शेयर की। रवि की पोस्ट डेढ़ करोड़ से ज़्यादा लोगों ने पढ़ ली है। कई लोगों ने इसे रीट्वीट किया और इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर भारतीय पर्यटकों के अभद्र व्यवहार पर बड़ी बहस छेड़ दी है। जब एक व्यक्ति ने बताया कि रवि की पोस्ट उत्तर भारतीयों को गलत तरीके से दिखाती है, तो रवि हांडा ने कहा कि वह खुद भी उत्तर भारतीय हैं और अपने अनुभव के बारे में लिख रहे हैं। वहीं, कई लोगों ने इसे नस्लभेदी बताया, तो कई अन्य लोगों ने कहा कि उत्तर भारतीय पर्यटक अक्सर इससे भी बदतर व्यवहार करते हैं और उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर ज़्यादा सभ्यता से पेश आना चाहिए।