सार
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को हिजाब पर बयान दिया। उन्होंने इतिहास के दो लेखों में से एक का उद्धरण पेश करते हुए अपनी बात रखी है।
नई दिल्ली। कर्नाटक हिजाब प्रकरण में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी अपना पक्ष रखा है। शुक्रवार को उन्होंने एशियानेट न्यूज (Asianet News) से बात करते हुए हिजाब को लेकर इस्लाम की पहली पीढ़ी की महिलाएं क्या सोचती थी और उनका इस पर रुख क्या होता था, इस पर किताब के एक लेख को बतौर उदाहरण उन्होंने पेश किया है।
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, किताब में दो विस्तृत लेखों का उल्लेख किया गया है। हालांकि, मैं अभी सिर्फ एक लेख में दिए उद्धरण के बारे में बात करूंगा। एक जवान लड़की जो खुद पैगंबर मुहम्मद के घर में पली-बढ़ी और वह पैगंबर मुहम्मद की पत्नी की भतीजी थी। हालांकि वह बेहद खूबसूरत थीं, यह इतिहास कह रहा है, इसे पढ़िए। जब उस लड़की के पति कूफा के गर्वनर थे, तब हिजाब नहीं पहनने पर उन्होंने उसे डांट लगाई। तब वह क्या जवाब देती हैं, वह कहती हैं कि खुदा ने मुझे खूबसूरत बनाया है। खुदा ने मुझ पर सुंदरता की मुहर लगाई है। मैं चाहती हूं कि लोग मेरी सुंदरता देखें और ऊपर वाले ने मुझे सुंदर बनाकर जो इज्जत बख्शी है, वह लोग देखें। मैं खुदा की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे इतना सुंदर बनाया। यह बताता है कि पहली पीढ़ी की महिलाएं किस तरह व्यवहार करती थीं।
'समय के साथ रीति-रिवाज भी बदलते हैं'
वहीं, एक अन्य मीडिया संस्थान से बात करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, धर्म को विभाजित नहीं करना चाहिए बल्कि लोगों को एकजुट करना चाहिए। ड्रेस कोड किसी भी संस्थान से जुड़ा मसला है। इसमें शामिल लोगों को निर्धारित अनुशासन का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अतीत में उत्तर भारत में पर्दा आक्रमणकारियों की वजह से आया था। हालांकि, अब उत्तर में महिलाएं बहुत लंबे घूंघट नहीं लगाती हैं और उन्हें घूंघट लगाने के लिए बाध्य भी नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि समय बदलने पर रीति-रिवाज भी बदलते हैं।
यह भी पढ़ें: क्यों बरपा है विवाद, क्या है हिजाब, कब और क्यों शुरू हुआ इसका चलन, कहां ये पहले व सबसे ज्यादा पहना जाता था
पहले की सरकारें झुकती थीं, यह ऐसा नहीं करती
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारें नियम, अनुशासन तोड़ने वाले लोगों के सामने झुकती थीं, लेकिन वर्तमान सरकार ऐसा नहीं कर रही है। आरिफ मोहम्मद खान ने यह भी कहा कि ऐसे बदलावों को अपनाने में समय लगेगा। लड़कियों और महिलाओं को पहले के मुकाबले अब अधिक आजादी मिली है। पहले ही उन्हें घूंघट और तीन तलाक जैसे प्रथाओं के तहत दबा दिया जाता था।
इसे भी पढ़ें: हिजाब पर मलाला का ढोंग आया सामने, किताब में किया था बुर्के का विरोध, अब कहा- भारतीय लड़कियों की आजादी मत छीनो
Hijab Controversy: भारत में हर साल कपड़ों पर इतना खर्च कर देती है मुस्लिम आबादी