Deepfake Video Detector: AI के गलत इस्तेमाल के कारण डीपफेक वीडियो मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में जानें आप किन टूल्स की मदद से इसकी पहचान कर सकत हैं और ये कैसे यूज होते हैं।
एक बार फिर डीपफेक वीडियो चर्चा में आ गया है। पहले रश्मिका मंदाना और आलिया भट्ट इसका शिकार हुई थीं, तब इस बार समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन (Iqra Hasan) के फोटोज-वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई। सोशल मीडिया पर गलत तरीके से एआई का इस्तेमाल कर सांसद का डीपफेक वीडियो (Iqra Hasan Deepfake Video) वायरल किया गया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है हालांकि समय के साथ AI का गलत इस्तेमाल बड़ी समस्या बनता जा रहा है। ऐसी घटना सेलिब्रिटी क्या आम इंसान के साथ भी हो सकती है। ऐसे में आज हम आपको डीपफेक वीडियो की पहचान करने के तरीकों के साथ कुछ आसान टूल्स भी बताएंगे, जो बेहद काम आ सकते हैं।
डीपफेक वीडियो डिटेक्ट करने वाले टूल्स (Deepfake Video Detector)
1) DeepSafe
ओपन सोर्स टूल के तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाले इस टूल का इस्तेमाल डीपफेक वीडियो की जांच के लिए किया जा सकता है। यहां पर सीधे इमेज और वीडियो अपलोड करना होता है। जिसके बाद ये बता देता है, वह डीपफेक है या नहीं। इसके इस्तेमाल के लिए किसी भी तरह का कोई पैसा नहीं देना पड़ता है।
2) WeVerify Deepfake Detector
ये टूल इमेज और वीडियो दोनों प्रोसेस करता है और बताता है वो असली है या नहीं। इसमें पूरी सटीकता तो नहीं पर डीपफेक होने की संभावना पर स्कोर दिया जाता है। आप इसे डेमो और पैसे देकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
3)Microsoft Video Authenticator
इस टूल का इस्तेमाल बिल्कुल फ्री किया जा सकता है। ये भी डीपफेक की जांच करता है। इसमें Real Time Confidence Score दिया जाता है। जिससे अंदाजा लगाते है ये असली है और नकली।
4)Deepware
इस AI Tool का इस्तेमाल बिल्कुल फ्री किया जा सकता है। ये वीडियो को स्कैन करता है और बताता है वीडियो असली है या फिर इसे जनरेट किया गया है। आप कई प्लेटफॉर्म की जांच के लिए इस्तेमाल में ला सकते हैं।
डीपफेक वीडियो की पहचान कैसे करें ?
- यदि टूल्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखकर भी डीपफेक वीडियो के बारे में पता लगाया जा सकता है-
- डीपफेक वीडियो में अक्सर लिप्सिंग मिस होती है।
- आम वीडियो में इंसान बिल्कुल आम तरीके से बर्ताव करता है लेकिन डीपफेक वीडियो में पलक झपकना लगातार होता है।
- डीपफेक वीडियो में आंखों की चमक थोड़ी सी अलग दिखाई देती है।
- डीपफेक में लाइटिंग और शेडो हमेशा नहीं होती है। यदि होती भी हैं तो अजीब लगती हैं। जिसे पहचाना जा सकता है।
- AI Video में आवाज बदलने के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल होता है। जिस वजह से ये रियल नहीं लगती है।
(नोट- एशियानेट हिंदी किसी भी टूल की सटीकता का दावा नहीं करता है। यहां दी गई सभी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है।)