सार
चार साल के बच्चे की एक दुर्लभ बीमारी का पता 17 डॉक्टर नहीं लगा पाए, तो उसकी माँ को चैटजीपीटी से मदद मिली। एआई तकनीक ने 'टेथर्ड कॉर्ड सिंड्रोम' नामक बीमारी का सुझाव दिया, जिसकी बाद में डॉक्टरों ने पुष्टि की।
चार साल के बेटे की रहस्यमय बीमारी का जवाब ढूंढ रही एक माँ को आखिरकार चैटजीपीटी के जरिए राहत मिली। कई अस्पतालों के चक्कर काटने और 17 डॉक्टरों की कोशिशों के बाद भी बच्चे की दुर्लभ बीमारी का पता नहीं चल पा रहा था। आखिरकार माँ ने तकनीक का सहारा लिया।
कोविड-19 महामारी के बाद एलेक्स नाम के बच्चे में असामान्य लक्षण दिखाई देने लगे। बच्चा तेज दांत दर्द, धीमी गति से विकास, शरीर का संतुलन खोना जैसी समस्याओं से जूझ रहा था। अपने बेटे की बीमारी का पता लगाने और उचित इलाज पाने के लिए, माँ कोर्टनी कई अस्पतालों में गई। 17 डॉक्टरों ने बच्चे की जाँच की, लेकिन कोई भी सही निदान या इलाज नहीं कर पाया।
बच्चे की हालत बिगड़ती देख कोर्टनी ने एक अनोखा प्रयास किया। उन्होंने एलेक्स के लक्षणों और एमआरआई स्कैन रिपोर्ट को चैटजीपीटी पर अपलोड किया। जानकारी की समीक्षा करने के बाद, चैटजीपीटी ने एक दुर्लभ बीमारी की संभावना का सुझाव दिया। चैटजीपीटी ने बताया कि बच्चा 'टेथर्ड कॉर्ड सिंड्रोम' नामक एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी से पीड़ित हो सकता है। इस बीमारी में टिश्यू रीढ़ की हड्डी की गति को प्रतिबंधित करते हैं।
चैटजीपीटी की सलाह पर, कोर्टनी ने ऑनलाइन ऐसे बच्चों के माता-पिता की तलाश की जिनके बच्चे भी इसी तरह के लक्षणों से पीड़ित थे। एक न्यूरोसर्जन ने कोर्टनी के बेटे एलेक्स की बीमारी की पुष्टि की। वर्षों की अनिश्चितता के बाद, 4 साल का बच्चा अब सामान्य जीवन जीने के लिए तैयार है। डॉक्टरों ने बताया कि हाल ही में हुई रीढ़ की हड्डी की सर्जरी सफल रही है।
इस घटना ने चिकित्सा क्षेत्र में एआई के इस्तेमाल पर वैश्विक बहस छेड़ दी है। हालांकि, विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा है कि एआई तकनीक चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है, लेकिन यह योग्य चिकित्सा पेशेवरों का विकल्प नहीं बन सकती। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कुछ मामलों में एआई की मदद से चमत्कार हो सकते हैं, लेकिन गलत परिणामों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
हाल के दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सभी क्षेत्रों में पैर पसार रहा है, और ऐसी बातें सामने आ रही हैं कि यह इंसानों की नौकरियां छीन लेगा। हालांकि, यह माना जाता था कि एआई चिकित्सा क्षेत्र में कभी नहीं आ पाएगा। लेकिन अब, एआई ने लक्षणों के आधार पर एक ऐसी बीमारी का पता लगाया है जिसका पता 17 डॉक्टर नहीं लगा पाए। इससे यह चिंता भी शुरू हो गई है कि एआई चिकित्सा क्षेत्र में भी डॉक्टरों और अन्य लोगों की नौकरियां छीन लेगा। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही बीमारी का पता लगाने के लिए एआई का इस्तेमाल किया जाए, लेकिन इलाज के लिए डॉक्टरों की ही जरूरत होगी। हमें आने वाले दिनों में होने वाले बदलावों का इंतजार करना चाहिए, न कि अभी कोई अंतिम निष्कर्ष निकालना चाहिए।