सार

उत्तराखंड में सोमवार से समान नागरिक संहिता लागू। विवाह, तलाक, संपत्ति और गोद लेने के नियमों में बड़े बदलाव। जानें 5 खास बातें।

देहरादून। उत्तराखंड में सोमवार से UCC (Uniform Civil Code) लागू हो गया। इसके साथ ही यह UCC लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है। समान नागरिक संहिता सभी नागरिकों के लिए एक समान विवाह, तलाक, संपत्ति, विरासत और गोद लेने के कानूनों की रूपरेखा तैयार करेगा।

उत्तराखंड में लागू होने वाले UCC की 5 खास बातें

1. माता-पिता की संपत्ति में बेटे-बेटी का समान अधिकार: UCC में माता पिता की संपत्ति में बेटे और बेटी दोनों के लिए समान अधिकार दिए गए हैं। चाहे वे किसी भी धर्म या वर्ग से हों।

2. बहुविवाह बैन, रजिस्ट्रेशन अनिवार्य: बहुविवाह पर बैन लगाया गया है। एक विवाह को कानूनी मान्यता होगी। पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 21 साल और महिलाओं के लिए 18 साल है। विवाह धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार किए जा सकते हैं। विवाह का रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है।

3. वैध और नाजायज बच्चों के बीच अंतर खत्म: UCC में संपत्ति के अधिकारों के संबंध में वैध और नाजायज बच्चों के बीच के अंतर को खत्म किया गया है। सभी बच्चों को जैविक संतान के रूप में मान्यता दी गई है।

4. गोद लिए गए और जैविक रूप से जन्मे बच्चों के अधिकार समान: UCC यह सुनिश्चित करेगा कि गोद लिए गए, सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुए या सहायक प्रजनन तकनीक के माध्यम से गर्भधारण किए गए बच्चों को जैविक बच्चों के समान ही अधिकार मिले।

5. मौत के बाद समान संपत्ति अधिकार: किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसके जीवनसाथी और बच्चों को समान संपत्ति अधिकार मिलेगा। मृत व्यक्ति के माता-पिता को भी समान अधिकार दिए जाएंगे।

UCC लागू होने के बाद क्या बदल जाएगा?

लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं तो रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। उम्र 21 साल से कम है तो माता-पिता की सहमति से ही लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। लिव-इन रिलेशनशिप की घोषणा न करने या गलत जानकारी देने पर तीन महीने की जेल, 25 हजार रुपए जुर्माना या दोनों सजा मिल सकती है। रजिस्ट्रेशन में एक महीने से अधिक देर हुई तो 3 महीने की की जेल या 10 हजार रुपए जुर्माना या दोनों सजा मिल सकती है।

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बहुविवाह, बाल विवाह और तीन तलाक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। तलाक के लिए एक जैसी प्रक्रिया होगी। UCC अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होगा। लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को "दंपति की वैध संतान" के रूप में मान्यता मिलेगी। उन्हें संपत्ति में समान अधिकार मिलेंगे।