सार
Subhash Pant Uttarakhand writer death: प्रख्यात साहित्यकार सुभाष पंत का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी रचनाओं ने उत्तराखंड के जनजीवन को जीवंत रखा। मुख्यमंत्री धामी ने शोक व्यक्त किया।
Uttarakhand writer Subhash Pant died: एक ऐसा नाम, जिसने पहाड़ों की ख़ामोशी को शब्द दिए, एक ऐसी लेखनी, जिसने उत्तराखंड की आत्मा को कहानियों में जिया, साहित्यकार सुभाष पंत हमारे बीच नहीं रहे। 86 वर्षीय लेखक ने देहरादून के नेशविला रोड स्थित अपने आवास पर सोमवार सुबह अंतिम सांस ली। साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
कहानियों से रचा अपना संसार
‘एक रात का फासला, छोटा हुआ आदमी, एक का पहाड़ा, पहाड़ चोर, मुन्नी बाई की प्रार्थना, पहाड़ की सुबह, सुबह का भूला, सिंगिंग बेल, और इक्कीसवीं सदी की एक दिलचस्प दौड़’ जैसी कृतियों से उन्होंने न सिर्फ हिंदी साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि उत्तराखंड के जनजीवन को भी किताबों के ज़रिए ज़िंदा रखा।
साहित्य भूषण से हुई थी हाल में सम्मानित
मार्च 2025 में उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा आयोजित साहित्योत्सव में उन्हें उत्तराखंड साहित्य भूषण सम्मान से नवाजा गया था। इस समारोह में उन्होंने उत्तराखंड आंदोलन को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की सराहना की थी और कहा था कि "इससे हमारी नई पीढ़ी अपने संघर्षों को करीब से समझ सकेगी।"
मुख्यमंत्री धामी ने जताया शोक
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट साझा करते हुए सुभाष पंत के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा:"उत्तराखण्ड साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार श्री सुभाष पंत जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों को यह असीम कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करें। सुभाष जी का निधन साहित्य प्रेमियों के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी कृतियां चिर काल तक साहित्य जगत को आलोकित करती रहेंगी।