बीआईएस ने आईटीबीपी जवानों को गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम में आईएसआई मार्क, उपभोक्ता अधिकार और सुरक्षा उपकरणों पर चर्चा हुई। कमांडेंट ने गुणवत्ता के महत्व पर जोर दिया।

उत्तराखंड। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) देहरादून शाखा कार्यालय द्वारा दिनांक 24 जून 2025 को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी), मठली, उत्तरकाशी में एक संवेदीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आईटीबीपी के अधिकारियों एवं जवानों को भारतीय मानक ब्यूरो की कार्यप्रणाली, उपभोक्ता अधिकारों तथा आईएसआई चिह्नित उत्पादों की उपयोगिता के साथ-साथ सुरक्षा उपकरणों में प्रयुक्त मानकों की जानकारी देना था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय मानक ब्यूरो के निदेशक एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई। उन्होंने बीआईएस की गतिविधियों जैसे हॉलमार्किंग प्रणाली, आईएसआई चिह्न की पहचान, उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र, एवं "बीआईएस केयर" मोबाइल ऐप के प्रयोग के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। विशेष रूप से आईटीबीपी बल में प्रयुक्त सुरक्षा उपकरणों जैसे हेलमेट, जूते, बॉडी आर्मर, इमारतों एवं पुलों के निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं हेतु सीआरएस योजना, संचार एवं वायरलेस उपकरणों आदि के लिए आवश्यक भारतीय मानकों एवं बीआईएस प्रमाणन प्रणाली की जानकारी भी दी गई।

 

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इस अवसर पर आईटीबीपी के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप सेकमांडेंट श्री सचिन कुमार,मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) श्री सरबजीत सिंह,डिप्टी कमांडेंट श्री लेखराज राणा,असिस्टेंट कमांडेंट श्री मांगेराम, असिस्टेंट कमांडेंट (वेटरनरी) श्री अक्षय कुमार उल्लेखनीय हैं। कमांडेंट श्री सचिन कुमार ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में गुणवत्ता मानकों के महत्व पर बल देते हुए कहा कि "देश की सुरक्षा से जुड़ी प्रत्येक सामग्री की गुणवत्ता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। बीआईएस द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करना न केवल उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है, बल्कि बल के जवानों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है।" उन्होंने बीआईएस द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को अत्यंत लाभकारी बताया और भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों के आयोजन की सराहना की।

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कार्यक्रम के समापन पर बीआईएस अधिकारियों ने उपस्थित जवानों एवं अधिकारियों को "बीआईएस केयर" मोबाइल ऐप डाउनलोड करने, आईएसआई चिह्न की पहचान करने तथा शिकायत पंजीकरण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी, ताकि वे स्वयं जागरूक उपभोक्ता बन सकें एवं दूसरों को भी प्रेरित कर सकें।