सार
Property relief for women: उत्तर प्रदेश में रजिस्ट्री प्रक्रिया आसान होगी और महिलाओं को संपत्ति पर स्टांप शुल्क में बड़ी छूट मिलेगी। सीएम योगी ने सर्किल रेट में बदलाव और पारदर्शिता बढ़ाने के भी निर्देश दिए हैं।
UP registry new rules: "भ्रष्टाचार की एक ईंट भी नहीं बचेगी, जब पारदर्शिता की दीवार खड़ी होगी।" कुछ ऐसी ही सख्त और दूरदर्शी सोच के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्टांप एवं निबंधन विभाग की समीक्षा बैठक में कई बड़े निर्णय लिए हैं। सरकार अब रजिस्ट्री की प्रक्रिया को न केवल अधिक सरल और पारदर्शी बनाएगी, बल्कि जनता के हितों की रक्षा करते हुए जमीन से जुड़े विवादों पर भी लगाम लगाएगी।
बैठक में सीएम योगी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी जमीन की रजिस्ट्री से पहले सभी दस्तावेजों और भू-स्वामी का पूर्ण सत्यापन अनिवार्य किया जाए। इसका उद्देश्य भूमि विवादों की बढ़ती संख्या को रोकना और फर्जीवाड़े पर कठोर कार्रवाई करना है।
महिलाओं को मिलेगा आर्थिक सशक्तिकरण का लाभ
मुख्यमंत्री ने महिलाओं को बड़ी राहत देते हुए प्रस्ताव रखा कि वर्तमान में 10 लाख रुपये तक की संपत्ति पर दी जा रही 1% स्टांप शुल्क की छूट को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये तक लागू किया जाए। यह निर्णय महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
सर्किल रेट में होगा बड़ा बदलाव
सीएम योगी ने यह भी निर्देश दिए कि सर्किल रेट तय करते समय क्षेत्र के शहरीकरण, विकास और आधारभूत सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने समान परिस्थितियों वाले क्षेत्रों में एक जैसे सर्किल रेट लागू करने की भी सिफारिश की।
स्टांप राजस्व में भारी वृद्धि
विभागीय आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 में जहां 11,000 करोड़ रुपये के स्टांप की बिक्री हुई थी, वहीं 2024-25 में यह आंकड़ा 30,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। स्टांप राजस्व में 11.67% की बढ़त दर्ज की गई है, जो डिजिटल और पारदर्शी व्यवस्था की सफलता का प्रमाण है।
सीसीटीवी से निगरानी और ऑनलाइन सेवाएं
मुख्यमंत्री ने सभी रजिस्ट्री कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से चालू रखने और समस्त सेवाओं को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं, जिससे आमजन को बार-बार दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें।
पैतृक संपत्ति पर सीमित शुल्क
सरकार ने यह भी सुझाव दिया कि पारिवारिक बंटवारे की स्थिति में स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क दोनों को मिलाकर अधिकतम ₹5000 तक सीमित किया जाए। इससे आम नागरिकों को आर्थिक राहत मिलेगी और प्रक्रियाएं सरल होंगी।
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