सार
प्रयागराज: महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर प्रयागराज के झूंसी हवेलिया स्थित तपोवन आश्रम में 52x52x52 फीट का दुनिया का पहला महामृत्युंजय यंत्र बनकर तैयार हो गया है। इस अद्भुत यंत्र को बनाने में लगभग 4 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। मकर संक्रांति (14 जनवरी) से 151 आचार्य इस यंत्र के नीचे बैठकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहे हैं और 11 लाख 11 हजार 111 पंचमुखी रुद्राक्षों को अभिमंत्रित कर रहे हैं। ये रुद्राक्ष महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को निशुल्क भेंट किए जाएंगे।
इस यंत्र की स्थापना करने वाले स्वामी सहजानंद महाराज का कहना है कि इस आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र का उद्देश्य युवाओं में बढ़ते मानसिक अवसाद, तनाव और आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकना है। यह अभिमंत्रित रुद्राक्ष घर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने के साथ मानसिक शांति प्रदान करेगा और नकारात्मक विचारों को दूर करेगा।
भारत में छुपी दिव्य शक्तियों को जागृत करने का अभियान
स्वामी सहजानंद महाराज का मानना है कि भारत ऋषि-मुनियों की भूमि है और यहां की छुपी हुई दिव्य शक्तियों को जागृत करने का समय आ गया है। उनकी योजना के अनुसार, इस महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना भारत के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में की जाएगी।
इस क्रम में सोमनाथ, केदारनाथ, भीमाशंकर और त्र्यंबकेश्वर में भी इस यंत्र की स्थापना होगी। सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के बाद दिल्ली में इसका भव्य निर्माण किया जाएगा। इस प्रयास का उद्देश्य भारत को एक आध्यात्मिक और आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करना है ताकि सनातन धर्म की ऊर्जा संपूर्ण विश्व में प्रसारित हो सके।
महामृत्युंजय मंत्र और 52 अक्षरों का वैज्ञानिक रहस्य
स्वामी सहजानंद महाराज के अनुसार, महामृत्युंजय मंत्र 52 अक्षरों का होता है, जो कि भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में विशेष स्थान रखते हैं। 1. भारत में कुल 52 ऊर्जा केंद्र हैं। 2. मानव शरीर में 52 ध्वनियां और 52 शक्ति केंद्र मौजूद हैं। 3. हिंदी वर्णमाला में 52 अक्षर होते हैं।
यह मेरुमृष्ठाकार यंत्र पूरी तरह वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है और मंत्रों के माध्यम से इसे जागृत किया जा रहा है। इसमें प्राण डालने के लिए 151 आचार्य महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहे हैं। इस प्रक्रिया से यंत्र के भीतर अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न होगी, जिससे इसका दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ मिलेगा।
महामृत्युंजय यंत्र के प्रभाव और लाभ
स्वामी सहजानंद महाराज का दावा है कि यह यंत्र युवाओं को मानसिक अवसाद और आत्महत्या की प्रवृत्ति से बचाने में मदद करेगा। यह आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र तनाव, नकारात्मकता और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होगा।
श्रद्धालुओं को मिलेंगे अभिमंत्रित रुद्राक्ष
- इस यंत्र के नीचे 11 लाख 11 हजार 111 पंचमुखी रुद्राक्ष रखे गए हैं, जो महाशिवरात्रि तक पूरी तरह अभिमंत्रित हो जाएंगे। ये रुद्राक्ष श्रद्धालुओं को निःशुल्क वितरित किए जाएंगे। इच्छुक श्रद्धालु तपोवन आश्रम में अपना नाम और पता दर्ज करवा सकते हैं। इन अभिमंत्रित रुद्राक्षों को डाक द्वारा भक्तों के घर भी भेजा जाएगा।
- रुद्राक्ष धारण करने का महत्व महंत सहजानंद महाराज बताते हैं कि इस अभिमंत्रित रुद्राक्ष को लाल धागे में गले में धारण करने से व्यक्ति को कभी भी मृत्युभय नहीं होगा। यह नकारात्मक विचारों को दूर करेगा। व्यक्ति आत्महत्या की प्रवृत्ति से बचा रहेगा। घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनी रहेगी।
- 4 करोड़ रुपये की लागत से 52 दिनों में तैयार हुआ यंत्र इस भव्य महामृत्युंजय यंत्र के निर्माण में कुल 52 दिन लगे और इसे बनाने में 100 से अधिक कारीगरों ने योगदान दिया। इस निर्माण कार्य में लगभग 4 करोड़ रुपये का खर्च आया। स्वामी सहजानंद का कहना है कि यह यंत्र महादेव की कृपा से ही संभव हुआ है।
महाकुंभ 2025 में दुर्लभ संयोग
- प्रयागराज में 144 वर्षों के बाद महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, और अगला ऐसा संयोग 2169 में आएगा। संगम की पावन धरा पर इस महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना अध्यात्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
ज्योतिषीय दृष्टि से इसका महत्व, ज्योतिर्विदो के अनुसार: 1. प्रयागराज में मकर रेखा गुजरती है, जिससे यहाँ कुंभ मेला लगता है। 2. वृषभ राशि में गुरु ग्रह और मकर राशि में सूर्य स्थित होने के कारण अध्यात्म का दुर्लभ संयोग बना हुआ है। 3. यह महामृत्युंजय यंत्र महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए एक ऊर्जा केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
महामृत्युंजय यंत्र: भारत के आध्यात्मिक भविष्य की नई नींव
- महामृत्युंजय यंत्र शोध संस्थान से जुड़ीं सद्गुरु मां ऊषा, जो एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की हीलर भी हैं, का कहना है कि यह यंत्र युवाओं और महिलाओं में अवसाद को दूर करेगा।
- यंत्र के प्रभाव से आसपास के कई किलोमीटर क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा फैल जाएगी। 1.,हिंसा, नकारात्मकता और आत्महत्या की प्रवृत्ति समाप्त होगी।
- 2. युवाओं और महिलाओं में धैर्य और मानसिक शक्ति का संचार होगा।
महादेव: सनातन संस्कृति के प्राण
महादेव को सनातन संस्कृति का आधार मानते हुए ज्योतिषाचार्य आचार्य हरे कृष्ण शुक्ला कहते हैं कि यह यंत्र महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए एक आध्यात्मिक रनवे की तरह कार्य करेगा।
स्वामी सहजानंद सरस्वती के नेतृत्व में हो रहा यह प्रयास भारत की आध्यात्मिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का कार्य करेगा।
क्या आपको भी अभिमंत्रित रुद्राक्ष चाहिए?
अगर आप भी इस अद्भुत और दिव्य यंत्र का लाभ उठाना चाहते हैं तो तपोवन आश्रम, झूंसी, प्रयागराज में जाकर अपना नाम और पता दर्ज करवा सकते हैं। महाशिवरात्रि के बाद अभिमंत्रित रुद्राक्ष आपके घर तक भेजा जाएगा।
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