सार
BSP सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजा आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटाने के साथ ही अपना उत्तराधिकारी भी न बनाने का ऐलान किया है। आकाश का करियर डुबोने के लिए उसके ससुर अशोक सिद्धार्थ को दोषी ठहराया है। जानें पूरी कहानी…
Why Akash Anand expelled from BSP posts: यूपी के उभरते हुए यूथ लीडर और मायावती (Mayawati) के उत्तराधिकारी के रूप में प्रोजेक्ट किए गए आकाश आनंद के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर आकाश आनंद (Akash Anand) को पार्टी के सभी पदों से हटाने के साथ ही उनसे पूरी तरह से किनारा कस लिया है। आकाश आनंद, मायावती के भतीजे हैं और उनको मायावती ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। लेकिन अब आकाश आनंद को पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर पद से हटाने के साथ ही मायावती ने अपना उत्तराधिकारी न बनाने का भी ऐलान किया है। मायावती ने साफ कहा कि उनके जीवित रहते कोई भी उत्तराधिकारी नहीं होगा। हालांकि, मायावती ने आकाश आंनद को हटाने (Akash Anand expelled from BSP all posts) और उनको पार्टी से अलग करने की वजह उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ और उनकी बेटी पर लगाया है।
पहले जानते हैं कौन हैं अशोक सिद्धार्थ (Who is Ashoka Siddhartha)?
अशोक सिद्धार्थ का ताजा परिचय तो यह है कि वह मायावती के समधी यानी उनके भतीजा आकाश आनंद के ससुर हैं। अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा से हुई है। अशोक सिद्धार्थ बीएसपी के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे हैं। उनके पिता कांशीराम के जमाने से पार्टी में थे। पेशे से डॉक्टर रहे अशोक सिद्धार्थ को मायावती ने ही राजनीति में लाया था। बताया जाता है कि मायावती के कहने पर ही उनको एमएलसी बनाया गया था। अशोक सिद्धार्थ बीएसपी से राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। यूपी के फर्रुखाबाद के रहने वाले अशोक सिद्धार्थ, बसपा के दक्षिण राज्यों के प्रभारी भी रहे हैं। अशोक सिद्धार्थ और मायावती के भाई आनंद कुमार, काफी अच्छे दोस्त थे इसलिए मायावती की सहमति के बाद यह दोस्ती रिश्तेदारी में बदल गई। अशोक सिद्धार्थ की पत्नी भी मायावती सरकार के दौरान राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन रह चुकी हैं।
लेकिन शादी के बाद अशोक सिद्धार्थ का बढ़ा दखल
हालांकि, अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा की आकाश आनंद से शादी के बाद उनका पार्टी में दखल बढ़ता गया। बताया जाता है कि जब आकाश आनंद को मायावती ने अपना उत्तराधिकारी और कोआर्डिनेटर बनाया था तो वह पार्टी के तमाम निर्णयों में अपना दखल देने लगे। हालांकि, लोकसभा चुनाव के दौरान आकाश आनंद के विवादित बयानों के सुर्खियों में आने के बाद मायावती ने आकाश को सभी पदों से हटा दिया था। लेकिन कुछ दिनों पहले ही आकाश आनंद को फिर से पदभार दे दिए थे। लेकिन पारिवारिक कलह खत्म नहीं हो रही थी। अशोक सिद्धार्थ की बढ़ती दखल और पार्टी में गुटबाजी को देखते हुए मायावती ने उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
अशोक सिद्धार्थ के निकाले जाने के बाद भी गुटबाजी न खत्म हुई
रविवार को मायावती ने आकाश आनंद को सभी पदों से मुक्त करने के साथ पार्टी से अलग करते हुए यह साफ कहा कि अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाले जाने के बाद भी आकाश आंनद पर प्रभाव साफ दिख रहा था। अशोक सिद्धार्थ अपनी बेटी प्रज्ञा के माध्यम से आकाश आनंद को प्रभावित कर रहे थे। परिवार बिखरने के साथ ही पार्टी भी बिखर रही थी। मायावती ने साफ कहा कि आकाश आंनद को पार्टी से हटाने की सारी जिम्मेदारी अशोक सिद्धार्थ की है। उन्होंने कहा कि अशोक सिद्धार्थ को निकालने के बाद भी आकाश आंनद पर प्रज्ञा के माध्यम से नकारात्मक प्रभाव डाला जा रहा था।
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