सार
कई महीनों की तैयारी के बाद प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के किनारे तंबुओं का शहर अपने स्वरूप में आ गया है। महाकुंभ के दौरान क़रीब चालीस करोड़ लोग संगम में डुबकी लगाएंगे। ये दुनिया के अधिकतर देशों से अधिक आबादी होगी। संतों और श्रद्धालुओं के इस महासंगम में कई ऐसे साधु-संत भी पहुंच रहे हैं जो अपनी वेशभूषा, तौर-तरीकों और स्टाइल से लोगों का ध्यान खींच रहे हैं।
कौन हैं अनाज वाले बाबा?
प्रयागराज में कहीं बांह ऊपर उठाए साधु खड़े हैं तो कहीं अग्नि के आगे भस्म लगाकर ध्यान में साधु बैठे हैं। एक बाबा ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने सिर पर ही फसल उगा रखी है। ये हैं अनाज वाले बाबा जो पिछले चौदह सालों से अपने सिर पर गेंहू, सरसों और दूसरे अनाज की फसलें तैयार करते रहे हैं।महाकुंभ में पहुंचे अनाज वाले बाबा का कहना है कि वो सिर पर उगी फसल को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटते हैं। बाबा का कहना है कि मौनी अमावस्या पर वो फसल का प्रसाद बाटेंगे।
हरियाली और विश्व शांति का संदेश
पत्रकारों से बात करते हुए बाबा ने कहा कि उन्होंने हरियाली और विश्व शांति का संदेश देने के लिए सिर पर फसल उगाना शुरू किया।बाबा अपने सिर पर मिट्टी रखते हैं और उसमें बीज बो देते हैं। फिर वो अपने सिर पर उगी फसल को खाद-पानी देते हैं।अगर आप भी कुंभ जा रहे हैं तो अनाज वाले बाबा जैसे बाबाओं से जरूर मिले। हर साधु-संत के पास आपको सिखाने के लिए कुछ ना कुछ जरूर होगा।
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