UP के यूट्यूबर अनुराग द्विवेदी के घर ED रेड में Lamborghini Urus, BMW Z4 बरामद। जांच में Sky Exchange और ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स से मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा। दुबई प्रॉपर्टी और हवाला नेटवर्क भी रडार पर।

UP YouTuber Anurag Dwivedi ED Raid: उत्तर प्रदेश के यूट्यूबर अनुराग द्विवेदी के घर पर ईडी की रेड के बाद जो तस्वीर सामने आई, वह हैरान करने वाली है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी में जिस तरह लैंबॉर्गिनी उरुस, बीएमडब्ल्यू Z4 और मर्सिडीज-बेंज (Lamborghini Urus, BMW Z4 और Mercedes-Benz) जैसी लग्जरी कारें सामने आईं, उसने ऑनलाइन बेटिंग और गैंबलिंग ऐप्स के काले सच की ओर सबका ध्यान खींच लिया है।

एक YouTuber के पास करोड़ों की कारें कैसे पहुंचीं?

अनुराग द्विवेदी उन्नाव के रहने वाले हैं और एक YouTube चैनल चलाते हैं। बाहर से देखने पर वह एक सफल डिजिटल क्रिएटर लगते थे, लेकिन ED की जांच में सामने आया कि उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा Sky Exchange और अन्य ऑनलाइन गैंबलिंग ऐप्स से जुड़ा था। ये ऐप्स भारत में गैर-कानूनी माने जाते हैं।

ED की रेड में क्या-क्या मिला?

ED ने उन्नाव स्थित उनके घर पर छापेमारी के दौरान चार लग्जरी गाड़ियां बरामद कीं, जिनमें लैंबॉर्गिनी उरुस, बीएमडब्ल्यू Z4 और मर्सिडीज-बेंज (Lamborghini Urus, BMW Z4 और Mercedes-Benz) शामिल हैं। अधिकारियों के अनुसार, ये गाड़ियां अवैध कमाई से खरीदी गई थीं।

ऑनलाइन बेटिंग से पैसा कैसे आया?

जांच एजेंसियों के मुताबिक, अनुराग द्विवेदी अपने YouTube चैनल पर गैंबलिंग और बेटिंग ऐप्स का प्रचार करते थे। इन प्रमोशनल वीडियो के जरिए बड़ी संख्या में लोग इन ऐप्स से जुड़े। इससे जो पैसा आया, उसे अलग-अलग तरीकों से घुमाकर मनी लॉन्ड्रिंग की गई।

दुबई तक कैसे पहुंचा पैसा? मनी लॉन्ड्रिंग का तरीका क्या था?

सूत्रों का कहना है कि अवैध कमाई को फर्जी बैंक खातों, हवाला नेटवर्क, टेलीग्राम चैनलों और बिचौलियों के जरिए वैध दिखाने की कोशिश की गई। इसी पैसे से महंगी कारें खरीदी गईं और विदेशों में निवेश किया गया। ED की जांच में यह भी सामने आया कि अवैध कमाई का इस्तेमाल भारत के बाहर, खासकर दुबई में अचल संपत्तियां खरीदने के लिए किया गया। इसके अलावा, उनके परिवार के सदस्यों और कंपनियों के खातों में बिना किसी वैध बिजनेस के भारी रकम जमा पाई गई।

क्या यह नेटवर्क सिर्फ यहीं तक सीमित है?

नहीं। पश्चिम बंगाल पुलिस ने सिलीगुड़ी में भी तलाशी ली, जहां सोनू कुमार ठाकुर और विशाल भारद्वाज जैसे अन्य आरोपी सामने आए। ये लोग फर्जी बैंक अकाउंट और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए ऑनलाइन बेटिंग नेटवर्क चला रहे थे।

आगे क्या हो सकता है?

ED अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल है, कितनी अवैध कमाई हुई और पैसा कहां-कहां लगाया गया। आने वाले दिनों में और संपत्तियों की ज़ब्ती और नए नामों पर कार्रवाई संभव है। यह मामला साफ संकेत देता है कि ऑनलाइन बेटिंग और सोशल मीडिया प्रमोशन का गठजोड़ कितना खतरनाक हो सकता है, और आने वाले समय में इस तरह के मामलों पर एजेंसियों की नजर और तेज़ हो सकती है।