सार
Urdu language Controversy in Assembly: उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में महाकुंभ 2025, उर्दू भाषा और बिजली निजीकरण जैसे मुद्दों पर जमकर बहस हुई। सीएम योगी ने महाकुंभ पर दुष्प्रचार करने वालों को आड़े हाथों लिया।
UP Assembly Budget Session 2025: उत्तर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र इस बार कई बड़े मुद्दों को लेकर सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ 2025 को लेकर हो रहे दुष्प्रचार पर कड़ा जवाब दिया। वहीं, विपक्ष ने बिजली के निजीकरण और विधानसभा कार्यवाही में उर्दू भाषा को शामिल करने की मांग उठाई, जिस पर सदन में तीखी बहस देखने को मिली।
महाकुंभ 2025 पर सीएम योगी का पलटवार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा कि महाकुंभ सनातन संस्कृति का आयोजन है, किसी सरकार का नहीं। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि महाकुंभ को लेकर अफवाह फैलाने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का अपमान कर रहे हैं। सीएम योगी ने कहा,"महाकुंभ में अब तक 56 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं। संगम का जल पूरी तरह स्वच्छ और स्नान योग्य है। विपक्ष के लोग इसमें मानव मल होने की अफवाह फैला रहे हैं।" योगी आदित्यनाथ ने सपा और अन्य विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वे महाकुंभ का शुरू से विरोध कर रहे हैं। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी, लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि यह सनातन आस्था का अपमान है।
उर्दू भाषा को लेकर विधानसभा में बहस
सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सदन की कार्यवाही में अंग्रेजी भाषा के प्रयोग का विरोध करते हुए उर्दू को भी शामिल करने की मांग रखी। उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या उर्दू में लिखने वाले साहित्यकार और विश्वविद्यालयों में उर्दू पढ़ने वाले कठमुल्ला हैं? इस पर सीएम योगी ने पलटवार करते हुए कहा,"सपा के नेता अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन दूसरों को उर्दू की ओर धकेलना चाहते हैं। यह उनकी संकीर्ण सोच को दर्शाता है।" संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने स्पष्ट किया कि सरकार किसी पर अंग्रेजी भाषा नहीं थोप रही है, लेकिन प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए।
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बिजली के निजीकरण पर हंगामा
विपक्ष ने बिजली विभाग के निजीकरण का मुद्दा सदन में उठाते हुए कहा कि इससे बिजली के दाम बढ़ेंगे और कर्मचारियों को नुकसान होगा। इस पर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने जवाब दिया कि राज्य की बिजली व्यवस्था को सुधारने के लिए निजीकरण जरूरी है। ऊर्जा मंत्री ने कहा,"2017 में जब भाजपा सरकार आई, तब बिजली विभाग 1.42 लाख करोड़ रुपये के घाटे में था। हमारी सरकार ने सुधार के प्रयास किए हैं और हम जनता के हित में फैसले लेंगे। निजीकरण से बिजली के दाम नहीं बढ़ेंगे।" उन्होंने कर्मचारियों को आश्वस्त किया कि उनकी नौकरी और हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
वित्त मंत्री ने बजट को लेकर दिया बड़ा बयान
सत्र की शुरुआत में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि यूपी का आगामी बजट जन कल्याणकारी होगा और गरीबों व मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा।"प्रदेश के ढांचागत विकास को और मजबूत किया जाएगा। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाई जाएंगी।
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