Primary School Merger UP: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सीतापुर जिले के प्राथमिक विद्यालयों के विलय पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।
Lucknow News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों के विलय को लेकर सरकार को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने सीतापुर जिले के प्राथमिक विद्यालयों के विलय पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने यह फैसला गुरुवार को सुनाया और मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को तय की गई है।
अदालत के इस आदेश ने राज्य सरकार की विलय नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला बेसिक शिक्षा विभाग के उन आदेशों से जुड़ा है, जिनमें प्रदेश भर के ऐसे प्राथमिक विद्यालयों को बंद करके दूसरे विद्यालयों में विलय करने के निर्देश दिए गए थे, जिनमें छात्रों की संख्या 50 से कम है। हालांकि, शिकायतकर्ताओं का कहना है कि विलय सूची में कई ऐसे विद्यालय भी शामिल हैं, जिनमें 50 से अधिक छात्र पढ़ते हैं। इसके विरुद्ध बच्चों के अभिभावकों ने विशेष अपील दायर की थी।
खाली हुए भवनों का ऐसे किया जाएगा उपयोग
इस मामले में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि विद्यालयों का विलय पूरी तरह से नियमों के अनुसार किया गया है। विलय के बाद खाली हुए भवनों का उपयोग 'बाल वाटिका विद्यालय' और आंगनवाड़ी केंद्रों के संचालन के लिए किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय शैक्षणिक संसाधनों के बेहतर उपयोग के उद्देश्य से लिया गया है।
विलय होने पर बढ़ सकता है ड्रॉपआउट
सरकार के इस तर्क के जवाब में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि विद्यालयों के विलय से छात्रों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, खासकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में, जहां बच्चे पैदल स्कूल जाते हैं। बढ़ती दूरी बच्चों की स्कूल तक पहुंच को प्रभावित करेगी और ड्रॉपआउट दर भी बढ़ सकती है। इससे पहले, 7 जुलाई को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने स्कूलों के विलय के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसी के खिलाफ ये विशेष अपीलें दायर की गई थीं।
अगली सुनवाई 21 अगस्त को
मुख्य न्यायाधीश अरुण भसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने बुधवार को दलीलें सुनने के बाद गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखी। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने सीतापुर जिले के विलय की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगाने का आदेश दिया। अदालत के इस आदेश को राज्य सरकार की विलय नीति में एक तात्कालिक बाधा के रूप में देखा जा रहा है।
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फिलहाल नहीं होगा स्कूल का विलय
सरकार जहां इस फैसले को शिक्षा व्यवस्था के पुनर्गठन और संसाधनों के समुचित वितरण के रूप में प्रचारित कर रही है, वहीं विरोधियों और कई शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था कमजोर होगी। अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी। तब तक सीतापुर के किसी भी स्कूल का विलय नहीं किया जाएगा। यह आदेश अन्य जिलों के लिए एक मिसाल बन सकता है, जहाँ इसी तरह की विलय प्रक्रिया लागू की जा रही है। माना जा रहा है कि कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक अन्य जिलों से भी इसी तरह की याचिकाएं दायर की जा सकती हैं।
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