Uttar Pradesh zero tolerance campaign: उत्तर प्रदेश में 2017 से अब तक 'जीरो टॉलरेंस' अभियान के तहत 234 अपराधी मुठभेड़ में मारे गए और 30,293 गिरफ्तार हुए। मेरठ ज़ोन में सबसे ज़्यादा कार्रवाई हुई, जबकि अन्य ज़ोन भी पीछे नहीं रहे।
Yogi Adityanath crime control: उत्तर प्रदेश अब कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में मिसाल बन चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में राज्य सरकार द्वारा 2017 से अब तक चलाया गया ‘जीरो टॉलरेंस’ अभियान अपराध के खिलाफ निर्णायक साबित हुआ है। इस दौरान 234 दुर्दांत अपराधियों को मुठभेड़ों में ढेर कर दिया गया, और यह आंकड़ा बताता है कि यूपी अब अपराधियों के लिए सुरक्षित जगह नहीं रहा।
2017 से 2025: 14,741 मुठभेड़ें और 30,293 अपराधी गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्णा के मुताबिक, इन आठ वर्षों में राज्य में कुल 14,741 मुठभेड़ें दर्ज की गईं। इन अभियानों में 30,293 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 9,202 अपराधी घायल हुए। पुलिस ने इस दौरान 18 जवानों की शहादत दी और 1,700 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। सिर्फ मुठभेड़ों तक सीमित न रहते हुए, सरकार ने गैंगस्टर एक्ट, एनएसए और संपत्ति कुर्की जैसे कड़े प्रावधानों को भी सख्ती से लागू किया।
मेरठ जोन सबसे आगे: 77 अपराधी ढेर, 4,183 मुठभेड़ें
मेरठ जोन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के मामले में सबसे सक्रिय रहा। यहां:
- कुल 4,183 मुठभेड़ें हुईं
- 7,871 अपराधी गिरफ्तार हुए
- 2,839 अपराधी घायल हुए
- 77 अपराधियों को ढेर किया गया
- 452 पुलिसकर्मी घायल और 2 पुलिसकर्मियों की शहादत
यह आंकड़ा बताता है कि पश्चिम यूपी में पुलिस ने संगठित अपराध को खत्म करने में पूरी ताकत झोंक दी है।
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वाराणसी और आगरा जोन भी पीछे नहीं
- वाराणसी जोन में: 1,041 मुठभेड़ें 2,009 गिरफ्तारी, 26 अपराधी मारे गए, 96 पुलिसकर्मी घायल
- आगरा जोन में: 2,288 मुठभेड़ें, 5,496 गिरफ्तारी, 19 अपराधी ढेर, 56 पुलिसकर्मी घायल
दोनों जोनों में लगातार पुलिस ऑपरेशन ने अपराधियों की गतिविधियों को सीमित कर दिया है।
कमिश्नरेट मॉडल: लखनऊ सबसे आगे
उत्तर प्रदेश के कमिश्नरेट शहरों में भी अपराध के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया। लखनऊ कमिश्नरेट ने:
- 126 मुठभेड़ें,
- 11 अपराधी ढेर
अन्य शहरों के आंकड़े:
- गौतमबुद्ध नगर (नोएडा): 1,035 मुठभेड़ें, 9 ढेर
- कानपुर: 221 मुठभेड़ें, 4 ढेर
- वाराणसी: 118 मुठभेड़ें, 7 ढेर
- आगरा: 426 मुठभेड़ें, 7 ढेर
- प्रयागराज: 126 मुठभेड़ें, 5 ढेर
यह दिखाता है कि कमिश्नरेट सिस्टम वाले शहरों में भी अपराध पर पूरी तरह नियंत्रण के प्रयास किए गए हैं।
अन्य जोनों में भी पुलिस की सक्रियता
पारंपरिक जोनों में भी पुलिस का कड़ा रुख देखने को मिला:
- लखनऊ जोन: 790 मुठभेड़ें, 15 ढेर
- प्रयागराज जोन: 506 मुठभेड़ें, 10 ढेर
- बरेली जोन: 1,962 मुठभेड़ें, 15 ढेर
- कानपुर जोन: 657 मुठभेड़ें, 11 ढेर
- गोरखपुर जोन: 594 मुठभेड़ें, 8 ढेर
इससे स्पष्ट होता है कि अभियान राज्य के हर कोने में समान रूप से चलाया गया।
अपराधियों में खौफ, जनता में भरोसा
इस 'जीरो टॉलरेंस' नीति का सीधा असर समाज पर पड़ा है। अपराधियों में भय का माहौल है और जनता में सुरक्षा का विश्वास मजबूत हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान "अपराधी या तो जेल में होगा या प्रदेश से बाहर" अब जमीनी हकीकत बन चुका है। माफिया सरगनाओं की संपत्ति कुर्क, अवैध कब्जे हटाना, और गैंगों की कमर तोड़ना, यह सब अब आम प्रशासनिक कार्यप्रणाली का हिस्सा है।
उत्तर प्रदेश सरकार की यह नीति अब राष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बन चुकी है। नीति आयोग, गृह मंत्रालय, और अन्य राज्य सरकारें इस मॉडल को अपने यहां लागू करने पर विचार कर रही हैं। जिस उत्तर प्रदेश को एक समय ‘बीमारू राज्य’ कहा जाता था, वही अब कानून व्यवस्था की मिसाल बन चुका है।
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