UP education scheme: उत्तर प्रदेश के कई गाँव और पहाड़ी क्षेत्र आज भी ऐसे हैं जहां शिक्षा तक पहुंच सिर्फ आर्थिक नहीं, भौगोलिक चुनौती भी है। स्कूल की दूरी, खराब सड़कें और परिवहन के अभाव के कारण सैकड़ों बच्चे रोज़ाना शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। अब इन हालात को बदलने के लिए यूपी सरकार ने एक नई योजना की घोषणा की है, जो ऐसे बच्चों को पढ़ाई जारी रखने का सीधा मौका देगी, सालाना 6000 रुपये की आर्थिक मदद के रूप में।
किन जिलों में लागू होगी यह योजना और क्यों?
यह योजना विशेष रूप से बुंदेलखंड और पूर्वांचल के उन जिलों के लिए तैयार की गई है जहां बच्चों के लिए स्कूल जाना आसान नहीं। इसमें झांसी, चित्रकूट, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और सोनभद्र जैसे जिले शामिल हैं। यह वो इलाके हैं जहां कई गाँवों के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में कोई भी सरकारी स्कूल मौजूद नहीं है। ऐसे में बच्चों को या तो स्कूल छोड़ना पड़ता है, या रोज़ कई किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता है।
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कौन होंगे इस योजना के लाभार्थी?
इस योजना का लाभ 9वीं से 12वीं तक के वे छात्र-छात्राएं उठा सकेंगे जिनका घर नजदीकी सरकारी स्कूल से 5 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित है। 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से लागू होने वाली इस योजना के तहत, पात्र छात्रों को हर साल ₹6000 का भत्ता मिलेगा।
कैसे मिलेगा यह भत्ता? प्रक्रिया क्या होगी?भत्ता सीधे छात्रों के बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के ज़रिए भेजा जाएगा। योजना के तहत पहली किस्त 5 सितंबर तक दी जाएगी। इसके लिए छात्र को एक स्वघोषणा पत्र देना होगा, जिसमें यह उल्लेख होगा कि उसके घर से 5 किलोमीटर के भीतर कोई सरकारी स्कूल नहीं है।
इस पत्र की सत्यापन प्रक्रिया में ग्राम प्रधान, स्कूल के प्रिंसिपल और स्थानीय काउंसलर की भूमिका अहम होगी। सभी से पुष्टि के बाद ही छात्र को योजना का लाभ मिल सकेगा।
उपस्थिति क्यों है ज़रूरी शर्त?
इस योजना का उद्देश्य सिर्फ पैसे देना नहीं, बल्कि बच्चों को नियमित रूप से स्कूल जाने के लिए प्रेरित करना भी है। इसलिए जो छात्र इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, उन्हें अपनी उपस्थिति में कम से कम 10% की बढ़ोतरी दिखानी होगी। तभी उन्हें आगे भी भत्ता मिलता रहेगा।
क्या लड़कियों को मिलेगा विशेष फायदा?
हां, सरकार ने इस योजना में प्रधानमंत्री स्कूल विकास योजना (PM SHRI) के तहत आने वाले 146 सरकारी स्कूलों की छात्राओं को भी शामिल किया है। इससे विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों की लड़कियों को मदद मिलेगी, जो अक्सर सुरक्षा, दूरी या पारिवारिक वजहों से स्कूल नहीं जा पातीं।
यह योजना न सिर्फ बच्चों की जेब में कुछ अतिरिक्त पैसे डालेगी, बल्कि उन्हें यह एहसास भी कराएगी कि सरकार उनकी शिक्षा को गंभीरता से ले रही है। दूरदराज के बच्चों के लिए यह सिर्फ एक भत्ता नहीं, बल्कि एक उम्मीद है कि शिक्षा के रास्ते अब थोड़े आसान बनेंगे।
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