सार

एपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पावेल जॉब्स महाकुंभ में शामिल होने प्रयागराज पहुंचीं। काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा के बाद उन्हें 'कमला' नाम दिया जाएगा। 

एपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेल पावेल जॉब्स महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए भारत पहुंच चुकी हैं। उन्होंने रविवार को काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा की और इसी के साथ भारत की अपनी धार्मिक यात्रा की शुरुआत की। वाराणासी में काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद पॉवेल प्रयागराज के लिए रवाना हुईं। लॉरेन पावेल के इस आध्यात्मिक कदम ने न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के महत्व को फिर से उजागर किया है। 

लॉरेन पावेल पहुंची महाकुंभ

स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पावेल स्वंय अरबपति हैं। उनके अलावा कई और विदेशी मेहमान भी कुंभ पहुंच रहे हैं। कुंभ के दौरान भारतीय संस्कृति और धर्म से दुनियाभर से लोग जुड़ते हैं। अध्यात्म की ओर कदम दुनिया की शीर्ष कंपनियों में शुमार एपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पावेल प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में भी शामिल होंगी और यहां तप, ध्यान और योग करेंगी। शनिवार को आध्यात्मिक गुरु कैलाशानंद महाराज ने जानकारी दी कि लॉरेन पावेल दूसरी बार भारत आई हैं और इस बार उन्हें हिंदू नाम ‘कमला’ दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें गुरु द्वारा उनका गोत्र भी दिया जाएगा। कैलाशानंद महाराज ने बताया कि यह लॉरेन पावेल का निजी कार्यक्रम है और वह पूरी तरह से आध्यात्मिक उद्देश्य से भारत आई हैं। 

शिविर में ठहरेंगी लॉरेल पावेल

महाकुंभ के दौरान लॉरेन पावेल ध्यान, तप, योग और साधना करेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि लॉरेन कुछ समय उनके शिविर में ठहरेंगी और गुरु से अपने मन में उठने वाले प्रश्नों का समाधान प्राप्त करेंगी। भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षण कुंभ मेले के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपराओं को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया जाता है। हर साल इस आयोजन में दुनिया भर से लोग सनातन धर्म और भारतीय अध्यात्म की ओर आकर्षित होकर आते हैं। कैलाशानंद महाराज ने बताया कि पश्चिमी देशों की बड़ी हस्तियां भी भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं की ओर आकर्षित हो रही हैं। उन्होंने कहा, "जो भी बड़े लोग संसार में हैं, वे किसी न किसी महापुरुष की शरण में आत्मानुभूति के लिए आते हैं।" कल्पवास का संकल्प महाकुंभ के दौरान लॉरेन पावेल कल्पवास भी कर सकती हैं। यह साधना बहुत कठिन मानी जाती है, जिसमें साधक एक ही स्थान पर रहकर तप और ध्यान करते हैं। कैलाशानंद महाराज ने कहा कि यह आध्यात्मिक मेला संतों और महापुरुषों से आशीर्वाद लेने और अपने जीवन की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।

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