प्रयागराज, 22 जनवरी 2025 | महाकुंभ 2025 के पवित्र आयोजन में वीआईपी कल्चर ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। महाकुंभ में जब लाखों श्रद्धालु अपने आस्था के साथ गंगा के संगम पर पुण्य की डुबकी लगाने पहुंचे हैं, वहीं वीआईपी गाड़ियों के काफिले से श्रद्धालुओं को काफ़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस मुद्दे को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
आलोक कुमार का कड़ा बयान
आलोक कुमार ने महाकुंभ में व्याप्त वीआईपी कल्चर पर जमकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “भगवान से बड़ा कोई नहीं। अगर आप उड़ीसा की जगन्नाथ रथ यात्रा का उदाहरण लें, तो वहां के राजा भी झाड़ू लगाते हैं। यह संदेश देता है कि भगवान के दरबार में सब बराबर हैं। वीआईपी कल्चर की जगह नहीं होनी चाहिए।”
विहिप अध्यक्ष ने यह भी कहा कि असली वीआईपी वे लोग हैं, जो रेलवे स्टेशन से ऑटो का किराया न दे पाने के बावजूद, पैदल चलते हुए अपनी आस्था को सर्वोपरि मानते हुए गंगा के संगम तक पहुंचते हैं।
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वीआईपी गाड़ियों की वजह से आस्था में खलल
विहिप अध्यक्ष ने आगे कहा, “महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन में जहां सबको बराबरी का दर्जा मिलता है, वहां वीआईपी कल्चर का क्या काम? यह वीआईपी गाड़ियां और काफिले केवल आस्था और भक्ति में बाधा डालते हैं।” उनका मानना है कि इस महासंगम में हर श्रद्धालु को सम्मान और समान अधिकार मिलना चाहिए, न कि वीआईपी कल्चर की वजह से किसी को भेदभाव का सामना करना पड़े।
वीआईपी कल्चर को लेकर सवाल उठाते हुए विहिप अध्यक्ष बोले
उन्होंने यह भी कहा, “महाकुंभ में किसी को भी विशेष प्राथमिकता नहीं मिलनी चाहिए। यहां केवल आस्था मायने रखती है, और असली वीआईपी वही हैं जो कठिनाइयों और थकान के बावजूद अपनी श्रद्धा को लेकर आते हैं।”
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