सार

महाकुंभ 2025 में उत्तराखंड से आए बाबा रूपेशपुरी 6 साल से खड़ेश्वरी तपस्या कर रहे हैं। खड़े होकर ही करते हैं सारे काम। जानिए क्या है इस तपस्या का रहस्य?

प्रयागराज महाकंभ 2025: आध्यात्मिकता और तपस्या का महापर्व महाकुंभ 2025 अपने साथ अनगिनत साधु-संतों की अनूठी साधनाएं और तप की झलक लेकर आया है। इन्हीं में से एक हैं खड़ेश्वरी बाबा रूपेशपुरी, जो उत्तराखंड के चम्पावत जिले से आकर महाकुंभ में अपनी कठोर तपस्या से श्रद्धालुओं को प्रभावित कर रहे हैं। बाबा श्री पंचनाम जूना अखाड़ा में अपनी अद्वितीय साधना, खड़ेश्वरी तप, का प्रदर्शन कर रहे हैं।

क्या है खड़ेश्वरी तप?

खड़ेश्वरी तप एक अत्यंत कठोर साधना है, जिसमें साधक लगातार खड़े रहते हुए अपनी दिनचर्या पूरी करता है। इस तपस्या में न केवल भोजन और ध्यान शामिल है, बल्कि दैनिक कार्य, यात्रा और अन्य सभी गतिविधियां भी खड़े रहकर ही की जाती हैं। बाबा रूपेशपुरी ने 6 वर्षों तक इस साधना को निभाने का संकल्प लिया है और इसे मानव कल्याण के लिए समर्पित किया है।

खड़ेश्वरी बाबा का आध्यात्मिक सफर

बाबा रूपेशपुरी ने संन्यास दीक्षा लेने के बाद अपने गुरु के निर्देश पर यह साधना शुरू की। उनका मानना है कि इस तपस्या के माध्यम से न केवल उनका आत्मिक उत्थान होगा, बल्कि मानवता के लिए सकारात्मक ऊर्जा और कल्याणकारी परिणाम उत्पन्न होंगे। बाबा के अनुसार, यह तपस्या गुरु के आदेश पर प्रारंभ हुई थी और यदि गुरु का निर्देश होगा, तो वे इसे 12 वर्षों तक जारी रख सकते हैं।

कैसे पूरी होती है खड़े रहकर दिनचर्या?

बाबा खड़े रहकर ही भोजन ग्रहण करते हैं और ध्यान में लीन रहते हैं। वे खड़े-खड़े ही विश्राम भी करते हैं, जो अत्यंत कठिन है। उनका कहना है कि तपस्या के शुरुआती दिनों में यह कठिनाई भले ही अधिक महसूस होती है, लेकिन समर्पण और संयम के साथ यह सहज लगने लगती है।

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महाकुंभ में श्रद्धालुओं का आकर्षण

महाकुंभ 2025 में बाबा रूपेशपुरी श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। श्रद्धालु उनकी साधना को देखने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। बाबा का कहना है कि उनकी साधना का उद्देश्य मानवता को यह संदेश देना है कि संयम और समर्पण से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।

खड़ेश्वरी तप की प्रेरणा और महत्व

खड़ेश्वरी तप न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह एक साधक की असीम धैर्य, आत्मनियंत्रण और सेवा भावना को भी दर्शाता है। बाबा ने बताया कि उनकी यह साधना उन सभी लोगों को समर्पित है जो जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। बाबा का मानना है कि इस तपस्या से उत्पन्न ऊर्जा से मानवता को लाभ मिलेगा।

गुरु का आदेश और भविष्य की साधना

बाबा रूपेशपुरी ने कहा कि उनका लक्ष्य 6 साल की तपस्या को पूरा करना है, लेकिन यदि उनके गुरु का आदेश होगा तो वे इसे 12 साल तक जारी रखने के लिए भी तैयार हैं। यह उनकी गुरु के प्रति समर्पण और आस्था को दर्शाता है।

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श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया

महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु बाबा की तपस्या से प्रेरित होकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। कई श्रद्धालुओं का कहना है कि बाबा की यह साधना उन्हें धैर्य और संयम का महत्व सिखा रही है। बाबा का सरल और शांत स्वभाव भी श्रद्धालुओं को उनकी ओर आकर्षित करता है।

खड़ेश्वरी तपस्या: एक प्रेरणादायक उदाहरण

महाकुंभ 2025 में खड़ेश्वरी बाबा की तपस्या न केवल धार्मिक आयोजन का हिस्सा है, बल्कि यह लोगों के लिए एक प्रेरणा भी है। बाबा की यह साधना मानवता के प्रति उनकी निष्ठा और आध्यात्मिकता के प्रति उनकी गहरी आस्था को दर्शाती है। महाकुंभ 2025 में खड़ेश्वरी बाबा रूपेशपुरी की साधना एक आदर्श प्रस्तुत करती है। यह तपस्या न केवल आध्यात्मिकता की ऊंचाईयों को दर्शाती है, बल्कि यह मानव कल्याण और सेवा के प्रति समर्पण का भी प्रतीक है। बाबा की साधना ने महाकुंभ में एक विशेष स्थान बना लिया है, और श्रद्धालु उनके इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं।