सार

महाकुंभ 2025 में संत समाज ने किसानों के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब सरकार द्वारा उचित मूल्य न मिलने पर संत समाज खुद किसानों से उनकी फसल खरीदेगा। शुद्ध और जैविक खेती करने वालों को मिलेगा पूरा दाम।

महाकुंभ नगर: महाकुंभ 2025 में चल रही परम संसद में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, जो किसानों के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया है। देश के किसानों को उनका हक दिलाने के लिए संत समाज ने एक बड़ा कदम उठाया है। ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने घोषणा की है कि अगर केंद्र सरकार किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं दे पाती, तो अब संत समाज खुद उनकी मदद करेगा।

संत समाज का ऐतिहासिक धर्मादेश: किसानों को मिलेगा फसल का उचित मूल्य

परम संसद में इस फैसले की घोषणा करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, "किसानों की मेहनत का सम्मान करना हमारा धर्म है। अगर सरकार किसानों को उनका उचित मूल्य नहीं देती, तो संत समाज जैविक और शुद्ध अन्न का उत्पादन करने वाले किसानों का समर्थन करेगा।"

यह भी पढ़ें : भगवा ड्रेस, हाथों में रुद्राक्ष, जब महाकुंभ पहुंची ग्लैमर क्वीन ममता कुलकर्णी!

इस फैसले के तहत, संत समाज ने यह सुनिश्चित किया है कि रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग करने वाले किसानों के स्थान पर अब शुद्ध और जैविक अन्न उगाने वाले किसानों को उचित दाम मिलेगा। संत समाज ने यह भरोसा दिलाया कि शुद्ध अन्न उत्पादक किसानों से उनकी फसलें मुंहमांगे दाम पर खरीदी जाएंगी।

"जैसा अन्न, वैसा तन और मन" - शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, “हमारे देश में शुद्ध अन्न और शुद्ध जल की उपलब्धता सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। सरकार हर तरह की गारंटी देती है, लेकिन शुद्ध खाद्य पदार्थ और पानी का वादा नहीं करती। यह जरूरी है कि हम अपने भोजन की गुणवत्ता को समझें, क्योंकि जैसा अन्न होगा, वैसा ही हमारा तन और मन होगा।”

संत समाज का समर्थन: किसानों को मिलेगा सहारा

परम संसद में यह निर्णय लिया गया कि अब संत समाज खुद आगे आकर किसानों की मदद करेगा। संत समाज ने यह भी तय किया है कि शुद्ध अन्न उत्पादकों को उनका मूल्य तय करने का अधिकार दिया जाए। अगर सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती, तो संत समाज किसानों के समर्थन में आंदोलन करेगा।

महाकुंभ 2025: केंद्र सरकार फेल, अब संत समाज दिलाएगा किसानों को उनकी फसलों का सही दाम

यह भी पढ़ें : बॉलीवुड छोड़, ममता कुलकर्णी ने क्यों लिया महामंडलेश्वर बनने का फैसला?