सार

महाकुंभ 2025 में रूस और यूक्रेन के नागरिक एक साथ शांति की प्रार्थना कर रहे हैं। महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी के शिविर में यह अनोखा दृश्य देखने को मिल रहा है, जो भारतीय संस्कृति की शक्ति को दर्शाता है।

महाकुंभ नगर (उत्तर प्रदेश): महाकुंभ 2025 सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि विश्व बंधुत्व और शांति का प्रतीक बन चुका है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर आयोजित इस महाकुंभ में विश्व के विभिन्न देशों के नागरिक एक साथ सनातन परंपरा का पालन कर रहे हैं। खास बात यह है कि युद्धग्रस्त देशों, जैसे रूस और यूक्रेन, के नागरिक भी एक साथ शिव नाम का जाप करते हुए शांति की प्रार्थना कर रहे हैं। यह दृश्य मानवता और आपसी वैमनस्य को समाप्त करने का जीवंत उदाहरण है।

महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी का शिविर: शांति का केंद्र

महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी के शिविर में रूस और यूक्रेन जैसे देशों के नागरिक एकत्रित हो रहे हैं, जिन्होंने हाल ही में युद्ध की विभीषिका का सामना किया। यहां वे एक साथ पंचकर्म, ध्यान, हवन और शिव नाम का जाप कर रहे हैं। यह दृश्य दिखाता है कि भारतीय सनातन परंपरा कैसे मानवता और शांति की राह पर लोगों को एक साथ ला सकती है।

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आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम

महामंडलेश्वर स्वामी शैलेशानंद गिरी ने बताया कि इस शिविर का आयोजन श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के तत्वावधान में किया गया है, जहां देश-विदेश से आए भक्त संगम की रेती पर कल्पवास कर रहे हैं। भक्तगण गंगा स्नान, ध्यान, भजन और हवन के माध्यम से अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ा रहे हैं। खासतौर पर, शाम के समय सामूहिक शिवनाम जाप और भजन की गूंज वातावरण को और भी आध्यात्मिक बना देती है।

रूस-यूक्रेन के नागरिकों का साझा प्रयास

महाकुंभ में रूस और यूक्रेन के नागरिक भी शिविर में एक साथ बैठकर शांति की प्रार्थना कर रहे हैं। यह अनोखा दृश्य दिखाता है कि किस तरह भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा के माध्यम से लोग आपसी बैर को भुलाकर एक साथ आ सकते हैं। महाकुंभ में यह पहल सिर्फ धर्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का वैश्विक मंच भी बन गया है।

विशेष हवन में शांति की प्रार्थना

महाकुंभ के शिविर में एक विशेष हवन का आयोजन किया गया, जिसमें सभी देशों के लिए शांति, भाईचारे और समृद्धि की कामना की गई। इस हवन में महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी और उनके शिष्यों के साथ विदेशी भक्तों ने भी हिस्सा लिया। हवन के वैदिक मंत्रों और शिव नाम के जाप ने पूरे शिविर को सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया।

महामंडलेश्वर गिरी ने कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की वैदिक परंपरा और संस्कृति को वैश्विक पटल पर स्थापित करने का एक प्रयास है। महाकुंभ से यह संदेश जाता है कि भारतीय संस्कृति न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह विश्व शांति की दिशा में भी मार्गदर्शन प्रदान करती है।

Mahakumbh 2025: रूस-यूक्रेन जैसे दुश्मन देशों के लोग भी साथ-साथ कर रहे शिवनाम का जाप

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