सार
प्रयागराज। जीवनदायिनी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर आस्था और श्रद्धा की अद्भुत तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। महाकुंभ 2025 में साधु-संतों, श्रद्धालुओं, कल्पवासियों और स्नानार्थियों का सैलाब उमड़ पड़ा है। 11 से 16 जनवरी के बीच मात्र छह दिनों में 7 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम और अन्य घाटों पर पुण्य की डुबकी लगाई है, और अनुमान है कि इस बार महाकुंभ में कुल 45 करोड़ से ज्यादा लोग स्नान करेंगे।
महाकुंभ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
महाकुंभ के पहले दो दिनों में ही रिकॉर्ड तोड़ स्नान हुआ। 11 जनवरी को करीब 45 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया, वहीं 12 जनवरी को यह संख्या बढ़कर 65 लाख पहुंच गई। महाकुंभ के पहले दिन पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व पर 1.70 करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। इसके बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान के दौरान 3.50 करोड़ लोग संगम में पहुंचे। महाकुंभ के पहले दो दिनों में कुल 5.20 करोड़ से ज्यादा लोग पुण्य की डुबकी लगा चुके हैं।
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श्रद्धालु पहुंच रहे हैं अन्य तीर्थ स्थलों पर, रोजगार को मिल रहा है बढ़ावा
महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं का रुझान सिर्फ संगम तक सीमित नहीं है। 13, 14 और 15 जनवरी को श्रद्धालु श्रृंगेवरपुर, चित्रकूट, वाराणसी, मां विंध्यवासिनी धाम, नैमिषारण्य, और अयोध्या जैसे पवित्र स्थलों की ओर भी रुख कर रहे हैं। इन स्थानों पर भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं।
अयोध्या में तीन दिनों में लगभग 10 लाख, काशी विश्वनाथ मंदिर में 7.41 लाख, विंध्यवासिनी धाम में 5 लाख और नैमिषारण्य धाम में 1 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। इन तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिल रहा है, जिससे स्थानीय व्यापार और अर्थव्यवस्था में भी रफ्तार आ रही है।
संगम में आस्था का संगम: रिकॉर्ड तोड़ स्नान जारी
महाकुंभ 2025 का आयोजन इस बार इतिहास रचने के रूप में देखा जा रहा है। एक ओर जहां श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर इस अवसर पर एक अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। यह केवल धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, एकता और विविधता का प्रतीक है।
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