Kisaan Devta mandir at Mahakumbh : महाकुंभ 2025 अपने अंतिम चरण में है, लेकिन इस बार संगम की पावन धरती पर एक अनोखा मंदिर सभी की आस्था और जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर विश्व का पहला ऐसा स्थल है, जो "किसान देवता" और "अन्नपूर्णा किसान देवी" को समर्पित है। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल पूजा-अर्चना कर रहे हैं, बल्कि किसानों के प्रति आदरभाव से भर उठ रहे हैं।

किसान देवता का मंदिर: अन्नदाता को सम्मान

किसान पीठाधीश्वर किसानाचार्य शैलेंद्र योगीराज सरकार ने बताया कि इस मंदिर का मूल स्वरूप उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के सराय महज गांव में स्थित है। महाकुंभ में इस मंदिर की स्थापना का उद्देश्य किसानों के योगदान को सम्मान देना और उनकी महत्ता को उजागर करना है।

यहां प्रतिदिन भव्य पूजन-अर्चन, आरती और भजन-कीर्तन होते हैं। खास बात यह है कि इस मंदिर में प्रसाद के रूप में चावल (अक्षत) दिया जाता है, जिसे भक्त अपने घर के भंडार में रखने का सुझाव दिया जाता है, ताकि उनके घर में कभी अन्न की कमी न हो।

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किसान देवता और देवी का स्वरूप

मंदिर में किसान देवता को नंगे पैर, धोती पहने और हाथ में हल लिए दर्शाया गया है। वहीं, अन्नपूर्णा किसान देवी को साड़ी पहने और अपने हाथ में कृषि का प्रतीक लिए खड़ी दिखाया गया है। ये मूर्तियां न केवल श्रद्धालुओं को भाव-विभोर करती हैं, बल्कि समाज को यह संदेश देती हैं कि अन्नदाता का सम्मान ही सच्ची भक्ति है।

किसानों को सम्मान और समाज को संदेश

भारत की 70% आबादी गांवों में रहती है और कृषि पर निर्भर है। इसके बावजूद, किसानों को संघर्षों का सामना करना पड़ता है। इस मंदिर की स्थापना का उद्देश्य किसानों को समाज में उनका सही स्थान दिलाना और उनकी कठिनाइयों के प्रति समाज को जागरूक करना है।

महाकुंभ में इस मंदिर के दर्शन करने आए श्रद्धालु इसे अद्भुत और दिव्य अनुभव मानते हैं। आजमगढ़ के सचिन यादव का कहना है कि यह मंदिर देखकर उन्हें अपार खुशी और गर्व की अनुभूति हुई, क्योंकि यह उन किसानों को समर्पित है, जिनके बिना दुनिया का अस्तित्व संभव नहीं। अंबेडकर नगर के राज बहादुर ने कहा कि यह मंदिर एक नई सोच को दर्शाता है और पूरी दुनिया के पालनहार अन्नदाता को समर्पित है।

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