सार

प्रयागराज महाकुंभ में गौमाता को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा दिलाने के लिए विशाल महायज्ञ का आयोजन। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने 543 सांसदों से यज्ञ में शामिल होकर संकल्प लेने का आग्रह किया।

प्रयागराज। महाकुंभ 2025 में इस बार एक नई और ऐतिहासिक पहल देखने को मिली है, जहां गौमाता को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा दिलाने के लिए एक विशाल महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। यह पहल न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी है, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता के एक अहम प्रतीक को पुनः प्रतिष्ठित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। इस महायज्ञ का शुभारंभ प्रयागराज के कुंभ क्षेत्र में हुआ, जिसका उद्देश्य गौमाता को उनका खोया हुआ सम्मान वापस दिलाना है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की योगी सरकार से मांग

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के नेतृत्व में शुरू हुए इस पंचदेव गौ प्रतिष्ठा महायज्ञ में 324 यज्ञ कुंड, 9 भव्य शिखर और 1,100 विद्वान आचार्य शामिल हैं। स्वामी जी ने इस महायज्ञ के माध्यम से सरकार से अपील की कि गौहत्या को दंडनीय अपराध घोषित किया जाए और गौमाता को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा दिया जाए। उन्होंने कहा, "गौमाता केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता की आधारशिला हैं।"

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस महायज्ञ के दौरान जोर देकर कहा कि भारत का असली गौरव उसकी आध्यात्मिक शक्ति और सनातन परंपराओं में है। उन्होंने कहा, "हमारी सांस्कृतिक धरोहर, विशेषकर गौमाता, का सम्मान फिर से स्थापित करना चाहिए।" इस महायज्ञ का उद्देश्य गौमाता की प्रतिष्ठा को वापस दिलाना है, जो सदियों से भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा रही हैं।

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543 सांसदों को बुलावा

महायज्ञ में देशभर के 543 सांसदों को आमंत्रित किया गया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सांसदों से अपील की कि वे यज्ञ मंडप की परिक्रमा करें और 40 करोड़ सनातन धर्मावलंबियों के साथ गौमाता को 'राष्ट्रमाता' घोषित करने का संकल्प लें।

बता दें की इससे पहले भी महाराष्ट्र सरकार ने गाय को राज्यपशु का दर्जा पहले ही दे दिया था, और अब स्वामी जी इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की दिशा में काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह कदम भारत की सांस्कृतिक जड़ों को और भी मजबूती प्रदान करेगा।

महाकुंभ 2025 का भव्य आयोजन

महाकुंभ के इस सबसे बड़े यज्ञ मंडप में श्रद्धालु न केवल पूजा-अर्चना कर सकते हैं, बल्कि मंडप के बाहर बनाए गए परिक्रमा पथ पर परिक्रमा भी कर सकते हैं। इस विशाल आयोजन में यज्ञ के दौरान 250 करोड़ से अधिक आहुतियां दी जाएंगी, जो धार्मिक आस्था और भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों का विश्वास और जुड़ाव दिखाती हैं।

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