सार
प्रयागराज। दिल्ली की रहने वाली इंदु नंद गिरी ने 12वीं के बाद ग्रेजुएशन और IT कोर्स करके IT फील्ड में नौकरी की। इसके बाद उन्होंने मेकअप आर्ट में करियर बनाया। लेकिन सनातन धर्म और भगवान में गहरी आस्था के कारण उन्होंने IT क्षेत्र को छोड़कर किन्नर अखाड़े में शामिल होने का निर्णय लिया। आज वे किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन चुकी हैं और सनातन धर्म का प्रचार कर रही हैं।
"हर किन्नर का जीवन दर्द से भरा है": महामंडलेश्वर इंदु नंद गिरी
इंदु गिरी का कहना है कि किन्नरों का संघर्ष बचपन से ही शुरू हो जाता है। समाज और स्कूल में उनके साथ भेदभाव किया जाता है। परिवार और समाज के तानों का सामना करते हुए वे किन्नर अखाड़े से जुड़ीं। उनकी कहानी प्रेरणा देती है कि कैसे कठिनाइयों का सामना करके भी आत्मविश्वास और धर्म में आस्था से जीवन बदला जा सकता है।
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मां काली की भक्ति से मिला सुकून और पहचान
महामंडलेश्वर इंदु गिरी ने बताया कि वे मां काली की अनन्य भक्त हैं। IT जॉब के दौरान भी उन्होंने धर्म और पूजा-पाठ से नाता नहीं तोड़ा। आज वे यज्ञ और पूजा के माध्यम से धर्म का प्रचार-प्रसार कर रही हैं। उनका मानना है कि धर्म में आस्था रखने से आत्मिक शांति और नई पहचान मिल सकती है।
देवयानी मुखर्जी: "हर किन्नर की कहानी दर्द से शुरू होती है"
दिल्ली की देवयानी मुखर्जी, जो किन्नर अखाड़े की साध्वी हैं, ने भी अपने जीवन में संघर्ष का सामना किया। 12वीं के बाद ग्रेजुएशन किया और साइंटिस्ट बनने का सपना देखा, लेकिन लिंग भेद के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सकीं। अब वे किन्नर अखाड़े की साध्वी बनकर धर्म के प्रचार में जुटी हैं।
मॉडलिंग से साध्वी बनने तक का सफर: देवयानी मुखर्जी की कहानी
देवयानी मुखर्जी ट्रांस इंडिया 2019 में मिस टैलेंटेड रह चुकी हैं और कई शो में हिस्सा लिया है। वे दिल्ली डिस्टिक इलेक्शन कमिशन की आइकॉन भी रही हैं। आज वे साध्वी बनकर समाज में किन्नरों के सम्मान और अधिकारों के लिए काम कर रही हैं। उनका कहना है कि जो सम्मान बचपन में नहीं मिला, वह अब मिल रहा है।
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