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अक्षयवट और सरस्वती नदी का रहस्य: महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए दिव्य दर्शन

प्रयागराज के अक्षयवट, जिसके नीचे अदृश्य सरस्वती बहती है, का इतिहास और धार्मिक महत्व जानें। महाकुंभ 2025 के लिए बने नए कॉरीडोर से श्रद्धालु अब आसानी से दर्शन कर सकेंगे।

Akshansh Kulshreshtha | Published : Jan 19 2025, 04:07 PM
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अक्षयवट वृक्ष का इतिहास
Image Credit : Asianet News

अक्षयवट वृक्ष का इतिहास

अक्षयवट वृक्ष प्राचीन भारतीय इतिहास और धार्मिकता का महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह वही वृक्ष है जहां भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान विश्राम किया था।

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ह्वेन सांग का यात्रा वृतांत
Image Credit : Asianet News

ह्वेन सांग का यात्रा वृतांत

चीनी यात्री ह्वेन सांग ने इस स्थान को अपनी यात्रा वृतांत में 'साक्षात देवताओं का स्थान' बताया था। उन्होंने यहां के धार्मिक महत्व को बहुत ही गहराई से समझा और इस स्थान को पवित्र माना।

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अक्षयवट और सनातन संस्कृति का संगम
Image Credit : Asianet News

अक्षयवट और सनातन संस्कृति का संगम

अक्षयवट भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का प्रतीक है। काशी, प्रयाग और गया में स्थित अक्षयवट वृक्षों का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। प्रयागराज का अक्षयवट इनमें सबसे प्रमुख है।

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अक्षयवट कॉरीडोर का निर्माण
Image Credit : Asianet News

अक्षयवट कॉरीडोर का निर्माण

महाकुंभ 2025 के लिए अक्षयवट कॉरीडोर का निर्माण किया गया है, ताकि श्रद्धालु आसानी से इस पवित्र स्थल के दर्शन कर सकें। यह कॉरीडोर महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है।

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श्रद्धालुओं का अनुभव
Image Credit : Asianet News

श्रद्धालुओं का अनुभव

अक्षयवट कॉरीडोर के माध्यम से श्रद्धालु न केवल अक्षयवट के दर्शन करते हैं, बल्कि वे वहां की दिव्य ऊर्जा और शांति का अनुभव भी करते हैं। यह एक अद्भुत और आध्यात्मिक अनुभव है।

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अदृश्य सरस्वती नदी का रहस्य
Image Credit : Asianet News

अदृश्य सरस्वती नदी का रहस्य

अदृश्य सरस्वती नदी का रहस्य, अक्षयवट से जुड़ा एक और रहस्य है — अदृश्य सरस्वती नदी। यह नदी अक्षयवट के नीचे से निकलती है और संगम में मिलती है, जिससे इस स्थल की महिमा और भी बढ़ जाती है।

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अक्षयवट का अविनाशी महत्व
Image Credit : Asianet News

अक्षयवट का अविनाशी महत्व

अक्षयवट को 'अक्षय' यानी अविनाशी माना जाता है। यह माना जाता है कि प्रलय के समय भी यह वृक्ष नष्ट नहीं होता। भगवान विष्णु यहां शयन करते हैं, जो इस वृक्ष की अविनाशी शक्ति का प्रतीक है।

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मुग़ल सम्राटों के समय में संघर्ष
Image Credit : Asianet News

मुग़ल सम्राटों के समय में संघर्ष

अक्षयवट वृक्ष को नष्ट करने के कई प्रयास हुए, लेकिन इसे मुग़ल सम्राट अकबर ने संरक्षण प्रदान किया और इसे अपने किले में रखा। औरंगजेब की कई कोशिशों के बावजूद यह वृक्ष बचा रहा।

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भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक
Image Credit : Asianet News

भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक

अक्षयवट एक वृक्ष नहीं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है। इसके दर्शन से श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और आस्था के अनमोल महत्व को महसूस करते हैं।

Akshansh Kulshreshtha
About the Author
Akshansh Kulshreshtha
अक्षांश कुलश्रेष्ठ एक अनुभवी पत्रकार हैं और इस क्षेत्र में 4 साल से अधिक समय से कार्यरत हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता और जनसंचार की डिग्री पूरी की, जहां उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति, अपराध की कहानियों और स्वास्थ्य और जीवन शैली पर फीचर लेखों में गहरी रुचि विकसित की। वर्तमान में, वह एशियानेट हिंदी के साथ काम कर रहे हैं, जहां वह अपने रिपोर्टिंग कौशल को निखारना जारी रखते हैं। डिजिटल मीडिया मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव और सोशल मीडिया मार्केटिंग पेशेवर के रूप में उनके अनुभव ने ऑनलाइन ब्रांडिंग, कंटेंट प्रमोशन और दर्शकों की सहभागिता में उनकी क्षमताओं को तेज किया है। अक्षांश पारंपरिक पत्रकारिता को आधुनिक डिजिटल रणनीतियों के साथ जोड़ते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उनका काम पाठकों के लिए प्रभावशाली और जानकारीपूर्ण बना रहे। Read More...
 
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