सार

जयपुर के एक कपल ने राम मंदिर निर्माण तक शादी न करने का संकल्प लिया था। ३३ साल बाद, उन्होंने अयोध्या में शादी की और अब संत बनने जा रहे हैं।

महाकुंभ नगर, प्रयागराज: "हमने देखी है उन आँखों की महकती खुशबू, हाँथ से छू के इसे रिश्तों का इल्जाम न दो। सिर्फ अहसास है ये, रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो।" यह लिरिक्स एक बॉलीवुड फिल्म से हैं, लेकिन यह शब्द पूरी तरह से उस प्रेमी जोड़े की कहानी से मेल खाते हैं, जिन्होंने 33 साल तक अपने संकल्प का पालन किया और आखिरकार भगवान राम के आशीर्वाद से अपना दांपत्य जीवन शुरू किया।

प्रयागराज के महाकुंभ में पहुंचे इस कपल की कहानी सच्ची श्रद्धा और संकल्प की मिसाल है। राजस्थान के जयपुर निवासी डॉ. महेंद्र भारती और उनकी पत्नी डॉ. शालिनी गौतम की प्रेम यात्रा, जो 1990 के कारसेवा कांड से जुड़ी है, काफी कठिन और रिस्की रही। लेकिन उन्होंने अपने संकल्प के साथ 33 साल तक इंतजार किया और अंततः राम मंदिर के निर्माण के बाद अपने संकल्प को पूरा किया।

1990 की कारसेवा और संकल्प की शुरुआत

महेंद्र भारती और शालिनी गौतम ने 1990 में अयोध्या में कारसेवकों की नृशंस हत्या को लेकर एक संकल्प लिया था। उस समय महेंद्र भारती ने प्रण किया था कि वह तब तक शादी नहीं करेंगे, जब तक अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता। इस संकल्प को पूरा करने में उन्हें 33 साल लग गए, लेकिन राम मंदिर निर्माण के बाद, 2024 में उन्होंने अयोध्या में जाकर डॉ. शालिनी गौतम के साथ विवाह किया।

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33 वर्षों का कठिन इंतजार और रामलला के साक्षी में विवाह

महेंद्र भारती और डॉ. शालिनी गौतम के बीच का यह प्रेम सफर और उनके द्वारा लिया गया संकल्प न केवल उनकी प्रेम कहानी का हिस्सा है, बल्कि राम मंदिर के निर्माण के साथ असंख्य संकल्पों की सिद्धि का प्रतीक भी है। डॉ. शालिनी गौतम ने भी इस कठिन रास्ते को अपनाने में अपने पति का साथ दिया। उनका मानना है कि राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि सनातन धर्म की पुनर्स्थापना का भी प्रतीक है।

आज स्वामी रामभद्राचार्य से दीक्षा लेंगे कपल

अब महेंद्र और शालिनी गौतम, जो अपनी पूरी जिंदगी समाज सेवा और सनातन धर्म के लिए समर्पित कर चुके हैं, 31 जनवरी 2025 को स्वामी रामभद्राचार्य से दीक्षा लेने जा रहे हैं। इसके बाद, वह अयोध्या दर्शन के लिए जाएंगे और फिर जयपुर वापस लौटेंगे।

राम मंदिर से जुड़े असंख्य संकल्प

राम मंदिर का निर्माण केवल रामभक्तों का सपना नहीं था, बल्कि असंख्य संकल्पों का परिणाम था। महेंद्र भारती और शालिनी गौतम की कहानी यह साबित करती है कि समय की कसौटी पर सच्चे संकल्प कभी विफल नहीं होते, और श्रद्धा के साथ लिया गया संकल्प एक दिन जरूर पूरा होता है।

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