who is Nikesh Arora: गाजियाबाद से निकले निकेश अरोड़ा अब दुनिया के सबसे अधिक वेतन पाने वाले CEO बन गए हैं। बर्गर बेचने से लेकर सॉफ्टबैंक और गूगल जैसी बड़ी कंपनियों में काम करने के बाद, उनकी सफलता की कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है।
Nikesh Arora success story: गाजियाबाद से अमेरिका तक का सफर और अब दुनिया के सबसे अधिक वेतन पाने वाले सीईओ बनने की कहानी – ये सिर्फ एक प्रेरणा नहीं, भारत की नई पहचान है। निकेश अरोड़ा का नाम अब उन हस्तियों में गिना जा रहा है जिन्होंने मेहनत, संघर्ष और काबिलियत से नया इतिहास रचा है।
गाजियाबाद से निकला ‘बिलेनियर’: कौन हैं निकेश अरोड़ा?
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जन्मे निकेश अरोड़ा आज टेक्नोलॉजी और फाइनेंस की दुनिया में सबसे चर्चित नाम बन गए हैं। 9 फरवरी 1968 को जन्मे निकेश की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के एयरफोर्स स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने आईआईटी बीएचयू से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया और अमेरिका की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से एमबीए और बोस्टन कॉलेज से फाइनेंस में एमएस की डिग्री ली।
बर्गर बेचने से लेकर अरबों की कंपनी तक: शुरुआती संघर्ष
अपने करियर की शुरुआत में निकेश ने अमेरिका में बर्गर बेचा और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी तक की। 1992 में फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट से उन्होंने करियर की शुरुआत की। टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट और फाइनेंस की फील्ड में काम करते हुए उन्होंने खुद को साबित किया।
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गूगल से लेकर सॉफ्टबैंक तक: ऊंचाइयों की उड़ान
साल 2004 में वे गूगल से जुड़ गए और 2012 में उनकी सालाना सैलरी 5.1 अरब डॉलर तक पहुंच गई। यहीं उन्होंने नेटफ्लिक्स को खरीदने की सलाह दी थी, जिसे कंपनी ने नहीं माना। इसके बाद वे सॉफ्टबैंक के प्रेसिडेंट बने और फिर 2018 में Palo Alto Networks के चेयरमैन और सीईओ बने।
151 मिलियन डॉलर सैलरी: बन गए अमेरिका के सबसे अधिक सैलरी पाने वाले
पिछले 5 सालों में निकेश को 12.5 करोड़ डॉलर के शेयर दिए गए, जिनकी कीमत कंपनी के ग्रोथ के साथ कई गुना बढ़ गई। वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, साल 2023 में उन्हें 151.43 मिलियन डॉलर का कंपनसेशन मिला है। इस आंकड़े के साथ उन्होंने सुंदर पिचाई और मार्क जुकरबर्ग जैसे दिग्गजों को भी पीछे छोड़ दिया है।
भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा: मेहनत की मिसाल हैं निकेश
निकेश अरोड़ा सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि भारत के युवाओं के लिए एक मिसाल हैं कि संघर्ष चाहे जितना भी बड़ा हो, अगर इरादे मजबूत हों तो सफलता की ऊंचाइयों को छूना कोई असंभव कार्य नहीं। गाजियाबाद से निकलकर दुनियाभर में अपना डंका बजाने वाले निकेश की कहानी हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है।
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