नेस्डा रिपोर्ट 2025 में उत्तर प्रदेश ने डिजिटल सुशासन में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 929 ई-सेवाएं, 59 में से 59 अनिवार्य सेवाएं लागू, निवेश मित्र और ई-डिस्ट्रिक्ट के जरिए फेसलेस व टाइम बाउंड सेवा वितरण से योगी सरकार का मॉडल सफल रहा।
कभी लंबी फाइलों, दफ्तरों के चक्कर और महीनों की प्रतीक्षा से पहचाने जाने वाले उत्तर प्रदेश ने अब डिजिटल सुशासन की नई पहचान बना ली है। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण मूल्यांकन (NESDA) 2025 की रिपोर्ट बताती है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश ने तकनीक को शासन का मजबूत आधार बनाते हुए प्रशासनिक कार्यप्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव किया है। बड़े प्रशासनिक ढांचे और विशाल आबादी के बावजूद उत्तर प्रदेश ने डिजिटल गवर्नेंस में ऐसी छलांग लगाई है, जिसने उसे देश के अग्रणी राज्यों की कतार में ला खड़ा किया है।
नेस्डा रिपोर्ट के अनुसार देश भर में कुल 23,934 ई-सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिनमें से अकेले उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 929 डिजिटल सेवाओं की है। यह आंकड़ा प्रदेश की मजबूत डिजिटल क्षमता को दर्शाता है। खास बात यह है कि अनिवार्य ई-सेवाओं के मामले में उत्तर प्रदेश ने शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है। कुल 59 में से सभी 59 अनिवार्य ई-सेवाएं प्रदेश में लागू कर दी गई हैं, जो डिजिटल प्रशासन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट करता है।
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अनिवार्य सेवाओं में पूर्णता, नागरिकों का बढ़ा भरोसा
नेस्डा रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि उत्तर प्रदेश ने नागरिक केंद्रित सेवाओं को फेसलेस और टाइम बाउंड डिलीवरी मॉडल पर सफलतापूर्वक लागू किया है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि आम नागरिकों का सरकारी सेवाओं पर भरोसा भी मजबूत हुआ है। प्रमाण पत्र, पेंशन, छात्रवृत्ति और पंजीकरण जैसी सेवाएं अब समयबद्ध तरीके से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं।
स्थानीय सेवाओं में भी मजबूत प्रदर्शन
स्थानीय शासन और उपयोगिता सेवाओं के क्षेत्र में देश भर में 8,463 ई-सेवाएं संचालित हो रही हैं। उत्तर प्रदेश ने इस सेक्टर में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। जाति, आय और निवास प्रमाण पत्र, जन्म-मृत्यु पंजीकरण, पेंशन और छात्रवृत्ति जैसी सेवाएं अब कुछ क्लिक में ही उपलब्ध हो रही हैं। इससे ग्रामीण और शहरी, दोनों क्षेत्रों के नागरिकों को सीधा लाभ मिला है और प्रशासनिक निर्भरता कम हुई है।
एकीकृत पोर्टल से आसान हुआ सेवा वितरण
एकीकृत सेवा वितरण पोर्टल के मोर्चे पर भी उत्तर प्रदेश की स्थिति मजबूत मानी गई है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की करीब 88 प्रतिशत ई-सेवाएं एकीकृत पोर्टल पर उपलब्ध हैं। ‘निवेश मित्र’ और ‘ई-डिस्ट्रिक्ट’ जैसे प्लेटफॉर्म पर 822 से अधिक सेवाएं नागरिकों और निवेशकों को एक ही स्थान पर मिल रही हैं। इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिला है और निवेश प्रक्रिया पहले से अधिक सरल हुई है।
एक साल में 129 नई ई-सेवाओं की बढ़ोतरी
डिजिटल गवर्नेंस में निरंतर सुधार का प्रमाण ई-सेवाओं की संख्या में हुई वृद्धि से भी मिलता है। नवंबर 2024 में प्रदेश में करीब 800 ई-सेवाएं उपलब्ध थीं, जो नवंबर 2025 तक बढ़कर 929 हो गईं। यह वृद्धि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सतत निगरानी और प्रशासनिक सुधारों का प्रत्यक्ष परिणाम मानी जा रही है।
शिकायत निवारण प्रणाली में भी यूपी आगे
नेस्डा रिपोर्ट में सार्वजनिक शिकायत निवारण व्यवस्था को लेकर भी उत्तर प्रदेश की सराहना की गई है। रिपोर्ट के अनुसार देश के 33 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस श्रेणी में पूर्णता हासिल कर चुके हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश प्रमुख रूप से शामिल है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार केवल सेवाएं ही नहीं दे रही, बल्कि नागरिकों की शिकायतों को भी डिजिटल माध्यम से प्रभावी ढंग से सुन और हल कर रही है।
डिजिटल शासन का मजबूत मॉडल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शासन मॉडल फेसलेस, पेपरलेस और टाइम बाउंड गवर्नेंस पर आधारित है। नेस्डा 2025 की रिपोर्ट के आंकड़े इस मॉडल की सफलता की पुष्टि करते हैं। उत्तर प्रदेश आज डिजिटल प्रशासन के क्षेत्र में अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बन चुका है और नए भारत के डिजिटल इंजन के रूप में खुद को स्थापित करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।
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